बिहार में सभी राजनीतिक दलों के नेता बागेश्वर धाम के बाबा के सामने नतमस्तक हो गए हैं। धीरेंद्र शास्त्री नामक यह बाबा इस समय बिहार में हैं और बीजेपी के तमाम नेता इनके सहारे धार्मिक कार्ड खेलने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
नीतीश कुमार सरकार के आनंद मोहन की रिहाई से जुड़े एक फ़ैसले ने बीजेपी के लिए बिहार में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं? जानिए, आख़िर क्यों बीजेपी असमंजस में है कि वह उस फ़ैसले का समर्थन करे या विरोध।
बिहार की राजनीति में क्या बड़ा बदलाव होने वाला है? आरएलजेडी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से नई दिल्ली में मुलाकात की है। जानिए आख़िर इसके क्या मायने हैं।
रामनवमी पर बिहार में हुई हिंसा कई मायने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति को प्रभावित करेगी। अगर वो इसे संभाल नहीं पाए तो इसका नुकसान उन्हें जरूर होगा। यह चिन्ताजनक है कि बिहार में जहां-जहां दंगे हुए, वहां पुलिस ने कार्रवाई करने में निष्क्रियता बरती।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने रावण को राम से ज्यादा काबिल बताकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। राम चरित मानस पर राज्य के कुछ मंत्रियों की विवादित टिप्पणी से उठा विवाद धीरे-धीरे ठंडा हो रहा था लेकिन मांझी ने अब और घी डालकर आग को भड़का दिया।
तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के खिलाफ हिंसा की खबरें बिहार के अखबारों ने उछाली। जिम्मेदार संपादकों ने मात्र एक वीडियो के आधार पर सारी फेक न्यूज परोस दी। बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की। लेकिन जब सच सामने आया तो बीजेपी अब बैकफुट पर है।
एक बार फिर बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ आने वाले नीतीश कुमार आजादी की लड़ाई में संघ की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। क्या वह इस सवाल को घरों और गांवों तक ले जा पाएंगे?
गुजरात विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने उन सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे हैं जहाँ पर मुसलिम आबादी काफी संख्या में है। तो सवाल है कि वह चुनाव किसके ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं और किसको इसका फायदा होगा?
राष्ट्रीय जनता दल में जगदानंद सिंह को लेकर अलग-अलग कयास क्यों लगाए जा रहे हैं? क्या वह पार्टी से अलग होने का विचार कर रहे हैं? क्या वह ऐसा कर सकते हैं?
क्या बीजेपी आरक्षण की पैरवी करती है? अगड़ों की पार्टी मानी जाती रही बीजेपी बिहार में पिछड़ों के नेता माने जाते रहे नीतीश कुमार के जदयू को आरक्षण विरोधी क्यों कह रही है?
पटना में राजनीतिक गर्मी बहुत हद तक शांत हो चुकी है और रांची में भी बारिश हो रही है लेकिन यह महीना झारखंड की राजनीति को गरमा सकता है। बीजेपी बिहार का गुस्सा झारखंड में निकाल सकती है।
नीतीश कुमार 45 विधायकों के साथ बिहार के मुख्यमंत्री बने हुए हैं और एकनाथ शिंदे के भी दावों के अनुसार 40-50 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री बन गए हैं। दोनों जगह बीजेपी गठबंधन में है। तो क्या दोनों नेता एक जैसे हैं?