सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तमाम तल्खियों को मिटाते हुए बुधवार को दिल्ली के अस्पताल में पूर्व मंत्री और वरिष्ठ सपा नेता आजम खान से मुलाकात की। इस मुलाकात के राजनीतिक मकसदों को आसानी से समझा जा सकता है।
सपा के संस्थापकों में से एक हैं। सपा विधायक दल का उन्होंने और उनके बेटे ने एक तरह से बॉयकॉट किया लेकिन सोमवार को विधानसभा में शपथ लेने पहुंच गए। कुल मिलाकर सपा के अंदरुनी हालात अच्छे नहीं हैं।
शिवपाल सिंह यादव उन्हें पार्टी से निकाले जाने की चुनौती अखिलेश यादव को दे चुके हैं। आज़म खान के समर्थकों की नाराजगी से भी अखिलेश मुश्किल में हैं। सपा में कोई बड़ा तूफान आने वाला है, ऐसी अटकलें मीडिया और राजनीति के गलियारों में लगाई जा रही हैं।
अखिलेश के सामने पार्टी के नेताओं की नाराजगी से निपटने की चुनौती तो है ही, संगठन को दरकने से बचाने और सहयोगियों को जोड़े रखने की भी चुनौती है। क्या वह इन चुनौतियों का मुकाबला कर पाएंगे?
शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़ के बाद आज़म खान के समर्थकों ने भी अखिलेश यादव से नाराज़गी जताई है। लेकिन सवाल यह है कि मुसलमान सपा को छोड़ने की सूरत में किसके साथ जा सकते हैं?
उत्तर प्रदेश की सियासत में इस बात की जोरदार चर्चा है कि शिवपाल यादव और आज़म ख़ान सपा छोड़ सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह निश्चित रूप से अखिलेश यादव के लिए जोरदार झटका होगा
2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने करहल की सीट से जीत हासिल की थी। इस सीट पर उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री एस पी सिंह बघेल को 60 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से मात दी थी।
यूपी में अब एमएलसी चुनाव होने वाले हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 14 यादवों को मैदान में उतार दिया है, जबकि मात्र दो मुसलमानों को टिकट दिया है। सपा पर पहले भी यादव पार्टी होने का आरोप लगा था लेकिन तब अखिलेश ने इसे नई सपा बताया था।