इंडिया गठबंधन में मतभेद और मनभेद का सिलसिला जारी है। अब खबरें आ रही हैं कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव बसपा को लेकर काफी चौकन्ने हैं। वे इंडिया गठबंधन में बसपा की एंट्री रोकने को लेकर किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, जिसे इंडिया छोड़ने की धमकी भी है। जानिए नया राजनीतिक घटनाक्रमः
यह रिपोर्ट मध्य प्रदेश चुनाव नतीजों पर नहीं है। बल्कि इस पर है कि एमपी में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने 72 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए, 24 रैलियां कीं। बड़ी-बड़ी बातें की और उनके भाषणों का निशाना कांग्रेस थी, जबकि एमपी में सत्ता भाजपा के पास थी और अब भाजपा वहां फिर से वापस आ गई है। इसलिए अखिलेश की पैंतरेबाजी पर बात करना जरूरी है।
आप और सपा दोनों ही मध्य प्रदेश में अपने उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं - जिससे किसी और के साथ नहीं बल्कि केवल इंडिया घटक दलों के साथ खुले टकराव की स्थिति पैदा हो रही है। इससे खुश होने वाली एकमात्र भाजपा है। यह इंडिया गठबंधन कहां ले जाएगा?
कांग्रेस क्या लोकसभा चुनाव में सहयोगी दलों के बिना बीजेपी या उसके एनडीए से मुक़ाबला कर पाएगी? आख़िर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच में हाल के घटनाक्रम के क्या सबक हैं?
समाजवादी पार्टी के लखनऊ स्थित मुख्यालय के बाहर लगे पोस्टर में अखिलेश यादव को भावी प्रधानमंत्री बताया गया है। यह पोस्टर सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने लगाया है। इस पोस्टर ने यूपी की राजनीति को गर्म कर दिया है।
यूपी में समाजवादी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी भाजपा शैली में शुरू कर दी है। पार्टी पिछले एक साल में कई स्तर के चुनाव हार चुकी है और उसे अब समझ में आ गया है कि बिना कैडर के पार्टी आगे नहीं बढ़ सकती। क्या है उसकी तैयारी जानिएः
क्या यूपी की राजनीति करवट ले रही है। शहरी निकाय चुनाव के आंकड़े बता रहे हैं कि मुस्लिम मतदाता अब सपा-बसपा से बतौर डिफाल्ट नहीं जुड़ा है। उनकी वोटिंग का पैटर्न बता रहा है कि उनकी पंसद अब छोटी पार्टियां और यहां तक की भाजपा भी है।
समाजवादी पार्टी दलित वोट बैंक की तरफ रुख कर रही है। दलितों की मौजूदा समय में नेता मायावती की राजनीति की वजह से दलित अब अन्य पार्टियों में जा रहे हैं। बीजेपी से काफी तादाद में दलित जुड़ चुके हैं। लेकिन जो दलित बीजेपी के साथ नहीं जाना चाहते हैं, वो भी सहारा तलाश रहे हैं। ऐसे में सपा की पहल रंग ला सकती है।
विपक्षी एकता को झटके लगना शुरू हो गए हैं। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उधर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कहा है कि सपा इस बार अमेठी और रायबरेली से लड़ेगी। दोनों गांधी परिवार की परंपरागत सीटें हैं। दोनों के बयान और घटनाक्रम विपक्षी एकता को लेकर कुछ और इशारा कर रहे हैं।
यूपी कैबिनेट ने शहरी निकाय चुनाव में ओबीसी कोटा तय करने के लिए बने पैनल की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। हालांकि रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन यह तय है कि कोटा लागू होने पर राज्य में शहरी निकायों की राजनीतिक तस्वीर बदल जाएगी। हर राजनीतिक दल अपने फायदे-नुकसान के गुणाभाग में जुट गया है।
यूपी विधानसभा में आज बुधवार को पेश किए गए बजट से ज्यादा सपा प्रमुख अखिलेश यादव के शेरवानी की चर्चा रही। कुछ लोगों ने इसे मुसलमानों को खुश करने से जोड़ा, कुछ ने आजम खान के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए। यूपी के बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया गया है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य 24 फरवरी को इस अभियान की शुरुआत करेंगे। ओबीसी के मौर्य समुदाय से आने वाले नेता स्वामी प्रसाद इस अभियान का जरूरी हिस्सा बताए जा रहे हैं।
यूपी विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत सोमवार 20 जनवरी को हंगामेदार रही। सपा और रालोद के विधायकों ने सदन के अंदर और बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। सदन में गवर्नर वापस जाओ के नारे लगे।
सुनवाई के बाद बाकी सभी लोगों को दोषमुक्त करार देकर छोड़ दिया गया है जबकि आजम खान और बेटे को दो साल की सजा सुनाई गई है। अब्दुल्ला, इससे पहले 2017 के विधानसभा में भी अपनी विधायकी गंवा चुके हैं।