सपा प्रमुख अखिलेश यादव रविवार 7 अप्रैल को मुख्तार अंसारी के घर गाजीपुर जा रहे हैं। अपने पिता मुलायम सिंह यादव के दौर में अखिलेश ने कभी मुख्तार की एंट्री और उनकी पार्टी कौमी एकता दल के सपा में विलय का विरोध किया था। अब ऐसी क्या जरूरत पड़ गई जो जाना पड़ रहा है। जानिए इस राजनीति कोः
उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी का शव उनके पैतृक आवास मोहम्मदाबाद देर रात में ही पहुंच चुका था। जहां सुबह करीब 10.30 बजे उन्हें दफनाया गया है। उन्हें दफन करते समय कब्रिस्तान में परिवार और उनके बेहद नजदीकी लोगों को ही जाने की अनुमति दी गई थी।
यूपी में सपा के भी अंदरुनी हालात अच्छे नहीं हैं। अखिलेश यादव के नजदीकी सूत्रों ने कहा है कि वे चुनाव ही नहीं लड़ेंगे। आजम उन्हें रामपुर से लड़ाना चाहते थे लेकिन सपा ने रामपुर से एक मौलाना को बुधवार को प्रत्याशी घोषित कर दिया। मुरादाबाद से मौजूदा सपा सांसद टीएस हसन का टिकट काटकर रुचिवीरा को दिया गया है। रामपुर पर आजम की नाराजगी दूर करने के लिए शिवपाल यादव सीतापुर जेल में जाकर आजम से मिलेंगे। जानिए घटनाक्रमः
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) छात्रसंघ में वामपंथियों की जीत को पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) बताया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि अब युवकों की जिम्मेदारी है कि वो लोकसभा चुनाव में हर वोट की और ईवीएम की निगरानी करें। क्योंकि भाजपा किसी भी स्तर पर उतर सकती है।
सपा सांसद रामगोपाल यादव ने बदायूं डबल मर्डर और एनकाउंटर के हवाले से भाजपा पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि भाजपा हिंसा करवाकर डर बैठाती है और उसकी आड़ में चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है। जानिए उन्होंने और क्या कहाः
सपा प्रमुख अखिलेश यादव गुरुवार को कथित खनन घोटाले में सीबीआई के समन पर पेश नहीं हुए। उन्होंने कहा सीबीआई को जवाब दे दिया है। मीडिया के सामने अखिलेश ने सीबीआई समन और अन्य मुद्दों पर भाजपा पर जबरदस्त हमला बोला। कहा- ये (भाजपा) यूपी से आए हैं और यूपी से ही जाएंगे। जानिए अखिलेश और उनकी सासंद पत्नी डिंपल यादव ने क्या-क्या कहाः
बसपा नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली बुधवार को समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। अखिलेश यादव ने अपनी मौजूदगी में उन्हें सपा की सदस्यता दिलाई। लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है। आखिर यह शख्स कौन है, सपा के लिए कितना जरूरी हो गया था यह नाम और चेहरा, जानिएः
अखिलेश यादव और सपा को कांग्रेस से गठबंधन बहुत महंगा पड़ रहा है। राज्यसभा चुनाव में सपा विधायकों ने क्रॉस वोटिंग करके अखिलेश की साख पर चोट कर दी। सपा ने आरोप लगाया कि भाजपा किसी भी तरह सपा-कांग्रेस तालमेल को बर्दाश्त नहीं कर पा रही। यूपी के घटनाक्रम के बाद सीबीआई ने अखिलेश को समन भेजकर गुरुवार को पूछताछ के लिए बतौर गवाह तलब किया है। ये सारे घटनाक्रम किस तरफ इशारा कर रहे हैंः
यूपी में अचानक कैसे जागी सपा के दलबदलू विधायकों की अंतरात्मा? बीजेपी ने उन्हें डराया या खरीदा? हिमाचल में बीजेपी ने कैसे की तोड़-फोड़? क्या हिमाचल सरकार को गिरा पाएगी बीजेपी? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- उमाकांत लखेड़ा, पूर्णिमा त्रिपाठी, सतीश के. सिंह, नीरेंद्र नागर-
राज्यसभा चुनाव समाजवादी पार्टी में आफत लेकर आया है। उसके कई विधायकों ने इस चुनाव में बगावत कर दी है और भाजपा प्रत्याशियों के लिए वोट किया है। इस घटनाक्रम का सीधा संबंध आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 से है। अगड़ी जाति के बगावत करने वालों विधायकों की वजह से अखिलेश यादव की राजनीति को झटका लगा है। यूपी में कांग्रेस-सपा गठबंधन के बाद जो मनोवैज्ञानिक दबाव भाजपा पर बना था, उसने उसे छिन्न-भिन्न कर दिया है।
अंबेडकर नगर से बसपा सांसद रीतेश पांडे ने रविवार 25 फरवरी को पीएम मोदी की तारीफ करते हुए भाजपा में शामिल हो गए तो बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा का नाम लिए बिना तीखा हमला किया। रीतेश पांडे के पिता राकेश पांडे उसी जिले से सपा के विधायक हैं। पूर्वी यूपी में राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। जानिए रविवार का घटनाक्रमः
कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के बाद आम आदमी पार्टी से सीट शेयरिंग पक्की कर ली है। भाजपा को निश्चित रूप से इससे झटका लगा है। यूपी में अगर सपा, कांग्रेस और कुछ क्षेत्रीय दलों ने मिलकर भाजपा को चुनौती दी तो समीकरण बिगड़ सकता है। लेकिन दूसरी तरफ पंजाब को लेकर आप और कांग्रेस खामोश हैं। इस तरह दोनों दलों के बीच अभी भी पसोपेश की स्थिति तो बनी ही हुई है। जानिए इस राजनीति कोः
समाजवादी पार्टी और कांगेस में यूपी की सीटों के बंटवारे को लेकर समझौता हो गया है। सामने आयी खबरों के मुताबिक समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटें देने के लिए राजी हो गई है।