सरकारी नीतियों के ख़िलाफ़ जहाँ अधिकतर खड़े होने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं वहाँ रूस के एक टीवी समाचार चैनल के सभी कर्मचारियों ने इस्ताफ़ा दे दिया है। जानिए उन्होंने ऐसा क्यों किया।
रूस को यूक्रेन में फंसे नागरिकों को बाहर निकालना ही होगा क्योंकि उसकी सेना द्वारा की जा रही बमबारी में अब तक यूक्रेन के सैनिकों के अलावा कई आम लोगों की मौत हो चुकी है।
यूक्रेन में रूसी हमले की आशंका में अमेरिका ने 10 फ़रवरी को ही यूक्रेन छोड़ने की चेतावनी दी थी, लेकिन भारत ने 15 फ़रवरी को सिर्फ़ यूक्रेन छोड़ने पर विचार करने को कहा। तब तक तो टिकट भी नहीं मिल रहे थे, भला छात्र कैसे आते?
यूक्रेन संकट पर क्या भारत का रूख साफ़ नहीं है? और क्या संयुक्त राष्ट्र में रूस की निंदा करने वाले प्रस्ताव से खुद को अलग करने के कारण भारत असहज स्थिति में है? या गुट निरपेक्षता का रास्ता ही सबसे उपयुक्त है?
कीव में जिस भारतीय छात्र हरजोत को गोली लगी, उन्हें दो गोलियां लगीं, उनका एक पैर भी टूट गया है। उन्हें अपने बाकी साथियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की पर हमले की तीसरी कोशिश यूक्रेनी सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया है। इससे पहले चेचन स्पेशल फोर्सेज ने भी ऐसी ही कोशिश की थी। एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि वैगनर मिलिशिया ग्रुप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति को तीसरी बार मारने की कोशिश की।
एक हफ्ते हो चुके हैं रूसी सेना अभी तक कीव के अंदर दाखिल नहीं हो पाई है। आर्थिक मोर्चे पर भी वो फंस गया है। सवाल यह उठ रहा है कि रूस यूक्रेन में जाकर क्या फंस गया है।
दुनिया के महान शतरंज खिलाड़ी रहे गैरी कास्परोव ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन की तीखी आलोचना की है। कास्परोव ने लंबे समय तक रूस में मानवाधिकार अभियान चलाया था, लेकिन अब वो अमेरिका में रहते हैं।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से बात की है और कहा है कि अभी बुरा समय आना बाकी है। जानिए, युद्ध से जुड़े ताज़ा अपडेट्स।
यूक्रेन के खारकीव में भारतीय एम्बेसी ने नई एडवाइजरी जारी की है। भारतीय छात्रों से कहा गया है कि वे फॉर्म भरें और वहां से निकलें। पता चला है कि रूस की मदद से वहां से भारतीय छात्रों को निकाला जा रहा है।