भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की बुधवार को की गई पेशकश को इसलिये हलके में नहीं लिया जाना चाहिये कि वह नादानी में अक्सर ऐसा बोलते हैं।
नेपाल ने कालापानी और कुछ अन्य इलाकों पर अपना दावा ठोक दिया है। भारत ने लंबे समय तक इस मसले को लटकाए रखा और कभी भी इस विवाद को सुलझाने के लिए गम्भीर क़दम नहीं उठाए।
भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ने की घटनाओं को लेकर मीडिया में बढ़ा-चढ़ाकर रिपोर्टें जारी की जा रही हैं। इससे दोनों देशों के रिश्तों में अनावश्यक तनाव पैदा होता है।
भारत और चीन के सैनिक एक बार फिर एक-दूसरे के सामने आ गए। दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा का विवाद एक बड़ा मुद्दा है और इसे जल्द से जल्द सुलझाया जाना चाहिए।
डोनल्ड ट्रंप के दौरे के बाद भारत और अमेरिका ने आर्थिक या सामरिक क्षेत्र में किसी नाटकीय समझौते की घोषणा या कोई सहमति का एलान तो नहीं किया लेकिन इससे राष्ट्रपति ट्रंप के भारत दौरे की अहमियत कम नहीं हो जाती।
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपने कार्यकाल के अंतिम साल में भारत का दौरा करने का फ़ैसला सामरिक या आर्थिक रिश्तों के नज़रिये से अहम माना जा रहा है लेकिन ट्रंप केवल इन्हें प्रगाढ़ बनाने के इरादे से ही भारत आ रहे हैं, यह कहना सटीक नहीं होगा।
चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ का पद भविष्य के युद्धों की चुनौतियों के अनुरूप बनाया गया है लेकिन अभी भी सामरिक हलकों में यह सवाल बना हुआ है कि क्या यह पद अपने घोषित लक्ष्यों को हासिल कर पाएगा?
हमबनटोटा बंदरगाह बनाने और फिर इसे 99 साल की लीज पर लेने के बाद कोलम्बो में चीन ने एक नया शहर कोलम्बो पोर्ट सिटी बना कर वहाँ दशकों तक अपने लोगों को बसाने का पूरा इंतज़ाम कर लिया है।
भारत और चीन के बीच दो हज़ार साल पुराना रिश्ता रहा है, लेकिन पिछले 70 सालों के छोटे से कालखंड ने इस रिश्ते में जो खटास पैदा की उससे पूरे दो हज़ार साल के रिश्तों पर काला धब्बा लग गया।
भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती श्रीलंका के साथ भरोसे का रिश्ता बनाने और चीन के साथ राजपक्षे सरकार की नजदीकियों का असर भारत के सुरक्षा हितों पर नहीं पड़ने देने की होगी।