भारत ने चीन को भी एक संदेश दिया है कि जिस तरह वह भारत की सम्प्रभुता का सम्मान नहीं करता है उसी तरह भारत भी चीन की प्रादेशिक एकता का सम्मान करने के लिये प्रतिबद्ध नहीं है।
चीन ने साठ साल पहले का दावा दुहरा कर भारत चीन के बीच चल रही मौजूदा सैन्य तनातनी को नया मोड़ दे दिया है। चीन द्वारा फिर से किये गए इस दावे को भारतीय विदेश मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है।
भारत की ओर से कहा गया है कि एलएसी को एकपक्षीय तौर पर बदलने की किसी भी कोशिश को भारत स्वीकार नहीं करेगा और भारतीय पक्ष ने सीमा प्रबंध के सभी समझौतों का सटीक पालन किया है।
चीन की इस हरकत से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य तनाव का तापमान काफी बढ़ गया है। इसी के मद्देनजर भारतीय सेना ने लेह-श्रीनगर राजमार्ग को आम आवाजाही के लिए रोक दिया है।
गुरुवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के डब्ल्यूएमसीसी की चौथे दौर की बातचीत में चीन अपने सैनिकों को पाँच मई से पहले की यथास्थिति बहाल करने पर सहमति देगा, इसकी उम्मीद कम ही है।
इज़राइल ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ राजनयिक रिश्तों की स्थापना करने और जनता और सरकारी स्तर पर दिवपक्षीय सहयोग के कई समझौतों का एलान कर अरब कौम में एक बड़ी सेंध लगाई है।
अब तक के संकेत यही हैं कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच वार्ता में भारी गतिरोध पैदा हो गया है और चीनी सेना ने संघर्ष के इलाक़ों से अपने सैनिकों को और पीछे हटाने से साफ़ इनकार कर दिया है।
लगता है चीन को समझ में आ गया है कि पूर्वी लद्दाख में भारत से लगे सीमांत इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा का एकतरफा उल्लंघन कर जबरदस्ती घुसना उसके लिए महंगा पड़ेगा।
गत पांच जुलाई को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर