देश में बदलाव की सनक सवार हो गई है। मुहल्लों, रेलवे स्टेशनों, शहरों के नाम बदलने की जो सनक सवार थी, उसका दायरा बड़ा हो गया है। इंडिया जो भारत ही है लेकिन वो उस भारत को थोपना चाहते हैं जिसमें इंडिया के लिए कोई जगह नहीं है। इस सनक में बाबा साहब आंबेडकर की उस इबारत (इंडिया दैट इज भारत) को मिटाने की साजिश साफ नजर आ रही है। सनक का इलाज सिर्फ जनता के पास है।