कांग्रेस ने साफ़ कर दिया है कि राहुला गाँधी ही कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे। तो राहुल बिन क्यों नहीं चलती कांग्रेस? देखिए वरिष्ठ पत्रकार शैलेश का विश्लेषण।
राहुल गाँधी अब अपने फ़ैसले से टस से मस होने के लिए तैयार नहीं हैं। चर्चा चल रही है कि दलित या पिछड़े वर्ग से आने वाले व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
लोकसभा चुनावों में हार के बाद राहुल गाँधी पद से इस्तीफ़े की पेशकश पर अड़े हुए हैं। राहुल को पद पर बने रहने के लिए मनाने की तमाम कोशिशें फिलहाल नाकाम हो गई हैं।
कांग्रेस अब एक लोकतांत्रिक पार्टी नहीं, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन चुकी है। यदि राहुल का इस्तीफ़ा हो ही जाता तो बताइए कि क्या यह कंपनी विधवा नहीं हो जाती? इसका बोझ कौन उठाता?
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस एक बड़े संकट में फँस गयी है। राहुल का कहना है कि अध्यक्ष कोई और बने। पर क्या कांग्रेस बिना नेहरू गाँधी परिवार के चल पायेगी? एक रह पायेगी?