पंजाब में चुनाव मुंह के सामने हैं। सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते सब लोगों को जोड़कर पार्टी को चुनाव जिताने के काम में जुटना चाहिए लेकिन वह आए दिन कोई न कोई मुसीबत खड़ी कर देते हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू ने क्यों कहा कि चुनाव साफ़ तौर पर अपूरणीय क्षति और क्षति पूर्ति के लिए आख़िरी मौक़े के बीच है? राज्य के संसाधनों को निजी जेब में जाने के बजाय राज्य के पास कौन वापस लाएगा?
कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के लाख विरोध के बाद सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। लेकिन सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफ़ा देकर हाईकमान को जोर का झटका दिया था।
पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में कहा है कि पंजाब में कांग्रेस को बचाने का यह अंतिम मौका है। क्या यह बग़ावत है?
सिद्धू ने कहा था कि वह कांग्रेस नेतृत्व के आदेश का पालन करेंगे। हरीश रावत ने भी उनसे पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर पूरी ताक़त के साथ काम करने के लिए कहा था।
पंजाब में पांच महीने के अंदर चुनाव होने हैं और उससे ठीक पहले सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे देने से कांग्रेस निश्चित रूप से मुश्किलों से घिर गई है।
पंजाब उन तीन राज्यों में से एक है, जहां पार्टी की अपने दम पर सरकार है। लेकिन सिद्धू की हरक़तें पंजाब में कांग्रेस के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा रही हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि पंजाब के 79 में से 78 विधायकों ने मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की थी। इसके जवाब में कैप्टन ने कहा कि कांग्रेस ठीक से झूठ भी नहीं बोल पा रही है।