कांग्रेस के रणनीतिकार मान कर चल रहे हैं कि अमेठी और रायबरेली दोनों ही संसदीय क्षेत्रों में पार्टी जीत जायेगी। सपा-बसपा और आम आदमी पार्टी का प्रत्याशी न होने का फायदा भी उन्हें मिलेगा।
बताया जा रहा है कि प्रियंका गाधी इस बात से डरी हुई हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी इस बार अमेठी में बुरी तरह फँसे हुए हैं और चुनाव हार भी सकते हैं।
कांग्रेस ने प्रियंका को वाराणसी में क्यों नहीं उतारा मोदी के ख़िलाफ़? क्या नरेंद्र मोदी से डर गईं प्रियंका गाँधी? देखिए क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार शैलेश।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की डूबती नाव को बचाने मैदान में उतरी प्रियंका गाँधी कम से कम बनारस में मोदी से दो-दो हाथ नहीं करेंगी। अगले दो-तीन दिनों में पार्टी इसका एलान भी कर देगी। तो क्या कांग्रेस डर गई?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का रण निपटने के बाद अब बाक़ी उत्तर प्रदेश में मज़बूत कंधे तलाश रही कांग्रेस की तैयारी बड़ी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की है। कुछ बड़े पिछड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कराने की योजना है।
गठबंधन ने अब ख़ुद को सफलतापूर्वक बीजेपी के मुक़ाबले में आमने-सामने खड़ा कर लिया है और कांग्रेस उन मतदाताओं में औचित्यहीन हो गई है जो बीजेपी के ख़िलाफ़ मत देना चाहते हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी लगातार उत्तर प्रदेश में घूम-घूमकर जनता से संवाद कर रही हैं। पार्टी को मजबूत करने के लिए वह ताबड़तोड़ दौरे करने में जुटी हैं।
प्रियंका गाँधी देशभर के हज़ारों कार्यकर्ताओं से फ़ोन पर बात करके उन्हें ज़रूरी हिदायतें देंगी और कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए कोशिश करने की नसीहत भी देंगी।