नरेंद्र कोहली बहुत शालीन व्यक्ति थे- लेखक के तौर पर मिली अपनी प्रसिद्धि से बहुत अभिभूत भी नज़र नहीं आते थे। बेशक, अंग्रेज़ी में होते तो शायद अमिष त्रिपाठी या चेतन भगत जैसी शोहरत उनके हिस्से भी होती।
बांग्लादेश के निर्माण के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कह कर सबको हैरान कर दिया कि ढाका की मुक्ति के सत्याग्रह में उन्होंने हिस्सा लिया था और इसके लिए वह जेल भी गए थे।
हिंदी साहित्य की प्रख्यात कवयित्री महादेवी वर्मा की शुक्रवार को 114वीं जयंती मनाई गई। पढ़िए, वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन क्या लिखते हैं महादेवी वर्मा की लेखनी पर।
जलियाँवाला बाग़ में ब्रिटिश सरकार द्वारा किए गए जघन्य हत्याकांड के 102 साल हो गए। इसके साथ ही यह सवाल भी उठता है कि भारत के राजनेताओं ने इससे क्या सीखा है और क्यों इसकी बहुलतावादी परंपरा पर ख़तरा मंडरा रहा है।