72 बार देश को ‘मन की बात’ बता चुके हैं पीएम मोदी। मन की बात देखने वाले दर्शकों की संख्या में आश्चर्यजनक तरीक़े से कमी आती गयी है। अब इस कार्यक्रम को नापसंद करने वालों की तादाद हर उस प्लेटफ़ॉर्म पर बढ़ती चली गयी है जहाँ इसका स्ट्रीम लाइन प्रसारण होता है।
गुजरात के अहमदाबाद में भारत और इंग्लैंड के बीच क्रिकेट मैच हुआ। मैच शुरू होने से पहले जो घटनाएं घटीं, वह भविष्य में याद की जाती रहेंगी लेकिन नकारात्मक उल्लेख के साथ।
सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर जैसी हस्तियों की ट्वीट की जाँच का फ़ैसला लेकर महाराष्ट्र सरकार और इसमें शामिल तमाम पार्टियाँ सवालों के घेरे में आ गयी हैं।
क्या राकेश टिकैत के रो पड़ने ने किसान आंदोलन में नये सिरे से जान फूँक दी है? रात यह लग रहा था कि पुलिस ज़बरन किसानों को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से हटा देगी लेकिन वैसा नहीं हुआ।
ताज़ा हालात में गृह मंत्रालय दिल्ली सरकार को ‘सहयोग’ कर रहा है और दिल्ली सरकार ‘भीगी बिल्ली’ बनी दिख रही है। ‘संभली हुई स्थिति’ कहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी चुप हैं।
जिस किशनगंज में एक दिन पहले नीतीश कुमार कह रहे थे कि ‘कोई किसी को नहीं भगा सकता’, उसी किशनगंज में अगले दिन चुनाव प्रचार के अंतिम दिन नीतीश कह गये- ‘यह मेरा अंतिम चुनाव है। अंत भला तो सब भला।’
जिन लोगों ने भी नीतीश-मोदी और जेडीयू-बीजेपी की सियासत को देखा-समझा है, वे नीतीश के वोट मांगने के इस अंदाज को देखकर चकित हैं, मगर यही चौंकाने वाला फैक्टर बिहार की सियासत के बदले हुए मिजाज का सबूत भी है।
क्या कोरोना की फ्री वैक्सीन का वादा किसी चुनाव घोषणा पत्र का हिस्सा हो सकता है? क्या होना चाहिए? यह सवाल देश में हर औसत बुद्धि का व्यक्ति भी बीजेपी से पूछ रहा है।
टेस्टिंग में हिन्दुस्तान 105वें नंबर पर है। कोई पड़ोसी देश ऐसा नहीं है जिससे भारत की स्थिति बेहतर हो। फिर भी प्रधानमंत्री कहते हैं कि भारत संभली हुई स्थिति में है। यह कोरोना काल का सबसे बड़ा मजाक है।
क्या चिराग पासवान को तेजस्वी यादव की सहानुभूति की जरूरत थी? क्या इस समर्थन से चिराग पासवान की राजनीति आसान हो जाएगी? या फिर, चिराग की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं?