एक टांग से बंगाल जीतने के बाद दोनों टांग से दिल्ली फतह करने के मंसूबे को अंजाम देने की तैयारी में जुट चुकी हैं ममता। मुकुल राय की टीएमसी में वापसी किसी कद्दावर नेता की ‘घर वापसी’ भर नहीं है।
आख़िर वैक्सीन उत्पादन का महाबली कोरोना से लड़ाई के दंगल में क्यों फिसड्डी साबित हुआ? मोदी सरकार ने कम से कम 10 ऐसी गंभीर भूलें की हैं जिसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ा है।
उत्तर प्रदेश में अप्रैल-मई में 46 दिन के भीतर 8,735 लोगों की जानें गई हैं। इनमें 1621 शिक्षक हैं। इसका मतलब यह है कि उत्तर प्रदेश में बीते डेढ़ महीने में कोरोना से मरने वाला हर पाँचवाँ-छठा व्यक्ति कोई न कोई शिक्षक है। ऐसा क्यों?
दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता देश है भारत। दुनिया के देश कम से कम भारत में वैक्सीन की कमी होने की कल्पना नहीं कर सकते थे। सवाल है- ऐसा क्यों? वह भी तब जब मोदी ने इंडिया फर्स्ट का नारा दिया है।
ममता पर धर्म के आधार पर वोट मांगने, नफ़रत फैलाने समेत कई आरोप हैं। पीएम मोदी ने कहा था कि अगर वे कहेंगे कि ‘हिन्दुओं एक हो जाओ’ तो उनके पास चुनाव आयोग के 8 से 10 नोटिस आ जाएँगे। ममता को चुनाव आयोग का नोटिस तो मोदी को क्यों नहीं?
रजनीकांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के प्रशंसक रहे हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का उन्होंने समर्थन किया था और मोदी सरकार को इस बात के लिए बधाई भी दी थी।
ममता बनर्जी ने जैसे ही खुद को ‘शांडिल्य’ गोत्र का बताते हुए अपना असली गोत्र मां, माटी, मानुष बताया, चुनावी फिजां की तपिश अचानक तेज हो गयी। गोत्र, जाति, धर्म की राजनीति करने वाले बेचैन हैं कि ममता बनर्जी क्या उनकी राह पकड़ रही हैं?
आख़िरकार मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को जाना पड़ा। बात सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अम्बानी की थी। मुकेश अंबानी के आवास एंटीलिया के बाहर 25 फ़रवरी को विस्फोटक लदे स्कॉर्पियो को खड़ा कर जाने की घटना कोई छोटी-मोटी घटना नहीं थी।
डॉ. मुकेश कुमार की पुस्तक ‘मीडिया का मायाजाल’ मीडिया विषयक चार दर्जन लेखों का संग्रह है जिसमें बीते चार-पाँच साल में मीडिया के स्वभाव में आए परिवर्तन चिंता के साथ व्यक्त हुए हैं।
पेट्रोल-डीजल-गैस के बेलगाम बढ़ते दाम का असर लोगों की जेब पर पड़ने लगा है और आने वाले दिनों में जेब का सुराख और बड़ा होता चला जाएगा। क्या मोदी सरकार महंगाई से जनता में उभरते जनाक्रोश को देख नहीं पा रही है?