इतिहास विडंबनाओं में छीनी गई संभावनाओं से भरा पड़ा है ।प्रशांत भूषण ने इसे फिर साबित किया । उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में एक नागरिक के सवाल पूछने और संस्थानों / शक्तिशाली व्यक्तियों की आलोचना करने के अधिकार की रक्षा के लिये उन्हें वह हर सजा मंज़ूर है जो कोर्ट उन्हें इस गुनाह के लिये अपने क़ायदे के अनुसार देना चाहती है । सोशल मीडिया पर यह वक्तव्य खिल उठा , बता रहे हैं शीतल पी सिंह।Satya Hindi