पांडिचेरी यूनिवर्सिटी में रामकथा पर आधारित एक नाटक का मंचन हुआ। नाटक को धर्म विरोधी बताकर अगले दिन भाजपा और आरएसएस से जुड़े संगठन एबीवीपी ने विरोध प्रदर्शन किया। फिर क्या था यूनिवर्सिटी ने नाटक के मंचन से जुड़े छात्र-छात्राओं और शिक्षकों पर कार्रवाई कर दी। यह हद है। तमाम अन्य नाटक और फिल्में रामकथा पर बनी हैं। लेकिन भारत में अब कलात्मक और रंग-मंच की आजादी को भी छीना जा रहा है। जाने-माने चिंतक और स्तंभकार अपूर्वानंद ने यही बात उठाई है कि शायद अब नई राम कथा भारत के बाहर लिखी जाएगी। पढ़िए उनका यह विचारोत्तेजक लेखः