पूरे उत्तर भारत में हवा के ख़राब होने के लिए क्या किसान ज़िम्मेदार हैं? तो फिर सरकार क्या कर रही है? केंद्र की मोदी सरकार से लेकर राज्यों की सरकारों ने दमघोंटू प्रदूषण को कम करने के लिए क्या किया है? सत्य हिंदी पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
क्या हवा ख़राब सिर्फ़ दिल्ली में है? कानपुर का क्या हाल है? लखनऊ, पटना या वाराणसी जैसे शहरों का प्रदूषण आपको पता है? कई ऐसी रिपोर्टें आती रही हैं कि छोटे शहरों में प्रदूषण का स्तर दिल्ली से कहीं ज़्यादा है।
दिल्ली में हवा ज़हरीली है और इसके असर को कम करने के लिए सरकार ने ऑड-ईवन फ़ॉर्मूला को लागू कर दिया है। ख़राब हवा से जो साँस लेने में दिक्कत हो रही है क्या उसे ऑड-ईवन दूर कर देगा?
हवा हद से ज़्यादा ख़राब हो गई है और इसी बीच सोमवार से दिल्ली में ऑड-ईवन फ़ॉर्मूला लागू हो गया है। यह 15 नवंबर तक लागू रहेगा। देखना होगा कि यह कितना कारगर साबित होता है?
यदि आपको लगता है कि ख़राब हवा से सिर्फ़ गले में जलन, आँखों से पानी आना, साँस लेने जैसी दिक्कत ही आ रही है तो आपको सचेत हो जाना चाहिए। दरअसल, यह आपकी ज़िंदगी को कम कर रहा है।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण कितना ख़तरनाक स्तर तक पहुँच गया है इसका असर अस्पतालों में भी दिख रहा है। वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या में दिल्ली के अस्पतालों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है।
दिल्ली-एनसीआर में हर तरफ़ धुआँ-धुआँ सा है। धुआँ क्या, पूरा का पूरा ज़हर सा है। दीपावली के एक दिन बाद जैसी स्थिति थी उसके अगले दिन यह और ख़राब हो गई। इस स्तर तक ख़राब कि यह जानलेवा हो गई है।
देश की राजधानी दिल्ली और इससे सटे नोएडा, गुड़गाँव, ग़ाज़ियाबाद और फ़रीदाबाद में हवा पहले से ही काफ़ी ख़राब थी लेकिन दीपावली में पटाखों के प्रदूषण के बाद यह बदतर हो गई है।
दिल्ली में प्रदूषण के मामले पर अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि उनकी सरकार के आने के बाद प्रदूषण कम हो गया। प्रदूषण कम करने में उनका श्रेय लेना कितना जायज है?