बीबीसी की डाक्यूमेंटरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से कठघरे में क्यों खड़ा कर दिया है? सुप्रीम कोर्ट की “क्लीन चिट” के बावजूद मोदी पर लगे आरोप धुलते क्यों नहीं हैं? क्या किसी साज़िश की वज़ह से ऐसा है? क्या गुजरात दंगों में उनकी भूमिका को लेकर संतोषजनक उत्तर न मिलने की वज़ह से बार-बार मोदी शक़ के दायरे से बाहर नहीं आ पा रहे?