प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार 15 अगस्त पर लाल किले से जो भाषण दिया, तमाम बुद्धिजीवी अभी भी अपने हिसाब से उसकी व्याख्या कर रहे हैं। स्तंभकार वंदिता मिश्रा का नजरिया भी पढ़िएः
मणिपुर से एक बार फिर हिंसा की खबरें सामने आई हैं। शुक्रवार की सुबह करीब 4.30 बजे उखरुल के पास स्थित एक गांव में गोलीबारी हुई है। प्राप्त सूचना के मुताबिक यहां इस हिंसा में गांव के 3 लोगों के मारे जाने की खबर है।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुरुवार को दिल्ली विधानसभा में मणिपुर के मामले पर पीएम नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर कई सवाल उठाए हैं। कहा, 150 लोगों की हत्याएं हो गई, बेटियों के साथ गलत हुआ, 6500 एफआईआर हुई लेकिन पीएम चुप रहे।
Satya Hindi news Bulletin हिंदी समाचार बुलेटिन । खड़गे बोले- कांग्रेस ने ये किया, इसलिए मोदी PM बन पाए । शरद पवार का पीएम पर हमला- 'मणिपुरी महिलाओं का दर्द नहीं समझते'
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकर्जुन खड़गे ने गुरुवार को दिल्ली में महिला कांग्रेस के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया है। इस मौके पर उन्होंने भाजपा पर जमकर हमला बोला है।
बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई। बैठक में कई महत्वपूर्ण योजनाओं को मंंजूरी दी गई है। इन योजनाओं का सीधा लाभ आम आदमी को होगा।
लाल क़िले से प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में आत्मविश्वास की कमी क्यों थी? क्या वह एक थके एवं हारे हुए नेता का भाषण था, जो न सही शब्द ढूंढ़ पा रहा था न विचार? वे किस तरह की दुविधा में थे? वे किसको संबोधित कर रहे थे? क्या उनका भाषण चुनावी भाषण था? क्या उनके भाषण से ये संकेत मिलता है कि वे जल्दी चुनाव करवाना चाहते हैं? क्या वे अपनी मार्केटिंग कर रहे थे?
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को क्या माना जाए। अगर इसे एक लाइन में कहना हो तो इसे चुनावी भाषण ही कहा जाएगा। जानिए उनके भाषण की खास बातें।
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। कुल मिलाकर पीएम मोदी का भाषण घोर राजनीतिक भाषण था। उन्होंने जनता से 2024 के लिए आशीर्वाद मांग लिया। विपक्ष उनके निशाने पर रहा लाल किला आने से पहले पीएम मोदी राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे। राजघाट पर किसी प्रधानमंत्री का जाना यह बताता है कि भारत को आजाद कराने में महात्मा गांधी का कितना बड़ा योगदान था।
संसद में प्रधानमंत्री के भाषण के बाद मणिपुर को लेकर देश में निराशा का माहौल बरकरार है। स्तंभकार वंदिता मिश्रा का कहना है कि कॉंग्रेस का भूत और प्रधानमंत्री के अपने व्यक्तिगत सपनों का भविष्य उनका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
संसद प्रधानमंत्री से बड़ी है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू यह लकीर खींच कर जा चुके हैं। भाजपाई कुनबा उस लकीर को मिटाना चाहता है, उसके सामने संसद की गरिमा का कोई महत्व नहीं है। वो संसदीय लोकतंत्र को तार-तार करना चाहता है। संदीप सिंह को पढ़िएः
संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री के भाषण को सोशल मीडिया पर इतना ट्रैक्शन क्यों नहीं मिला ? क्यों राहुल की स्पीच को ज़्यादा लोगों ने देखा ? क्या है कारण - आशुतोष के साथ चर्चा में कार्तिकेय बत्रा, अंकित लाल, शीतल पी सिंह, रिया और शशि सिंह