पालघर में दो साधुओं और उनके साथ गाड़ी के एक चालक की लिंचिंग हुई। वहाँ स्थानीय सरपंच थीं। एनसीपी नेता थे। पुलिसकर्मी थे। भीड़ ने उन्हें दो घंटे से ज़्यादा समय तक पकड़ रखा था। फिर अचानक दो घंटे बाद ऐसा क्या हो गया कि भीड़ ने तीनों को मार डाला?
भड़काऊ बयान देने और कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए रिपब्लिक टीवी चैनल के संस्थापक और मुख्य संपादक अर्णब गोस्वामी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई गई है।
महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं और एक ड्राइवर की मॉब लिंचिंग में पुलिस और प्रशासन की नाकामी साफ़ दिख रही है। वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश सिंह से बातचीत में देखिए इस कांड की सच्चाई और साथ में सोचिए कि ऐसे जघन्य अपराध पर भी राजनीति और भेदभाव का व्यापार करनेवालों को क्या कहा जाए?
देश में भीड़तंत्र की बढ़त लगातार जारी है और बीच बीच में वह निर्दोष नागरिकों की बलि लेता चल रहा है। आबादी के समुदाय के आधार पर विभाजित कर दिये जाने के कारण लोग अपने अपने फिरके के मामले में ही नरम या गरम पड़ते हैं। पालघर की घटना की समाज विज्ञान के आधार पर मीमांसा कर रहे हैं शीतल पी सिंह।