इस समय कोरोना से जूझ रहे लोगों को बचाने का जितना काम पत्रकार कर रहे हैं, उतना शायद ही कोई कर रहा होगा। इस देश मे पिछले कुछ वर्षों से पत्रकारिता औऱ पत्रकार दोनों बदनाम रहे हैं। यह पूरी संस्था ही शक और संदेह में घिरी रही है।
राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन संकट के बीच दिल्ली और केंद्र की सरकारें क्या दिल्ली हाई कोर्ट की आंखों में धूल झोंक रही हैं? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अदालत को विश्वास दिलाए जाने के बावजूद ऑक्सीजन का संकट खत्म नहीं हो रहा है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने चेतावनी दी कि जो कोई ऑक्सीजन आपूर्ति रोकने की कोशिश करेगा, 'उसे लटका दिया जाएगा।' अदालत ने कहा कि यह कोरोना की दूसरी लहर नहीं, बल्कि सुनामी है और सरकार बताए कि वह उसे रोकने के लिए क्या कर रही है।
ऐसे समय जब ऑक्सीजन की किल्ल़त और इसकी कमी से कोरोना रोगियों के तड़प-तड़प कर मरने की ख़बरें देश के कई कोने से आ रही हैं, सरकार ने जर्मनी से 23 मोबाइल ऑक्सीजन संयंत्र हवाई जहाज़ से लाने का फ़ैसला किया है।
बंबई हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की ऑक्सीजन आपूर्ति में कटौती करने के लिए केंद्र सरकार को लताड़ लगाते हुए आदेश दिया है कि वह पहले की तरह ही आपूर्ति सुनिश्चित करे।
दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन आपूर्ति नहीं करने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उसके लिए मानव जीवन की कोई कीमत नहीं है। अदालत ने बुधवार को कड़ी टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार से कहा, 'भीख माँगो, किसी से उधार लो या चोरी करो, पर ऑक्सीजन दो।'
ऑक्सीजन की कमी होने और ऑक्सीजन न मिलने से कोरोना रोगियों के तड़प तड़प कर मरने की खबरों के बीच यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या वाकई देश में ऑक्सीजन उत्पादन खपत से कम है? या ऑक्सीजन की आपूर्ति के साधन नहीं हैं?