कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का राहुल गांधी के नेतृत्व को विपक्षी दलों से स्वीकार करने के आग्रह को लेकर दिया गया बयान विपक्षी एकता की कोशिशों को नुकसान पहुंचा सकता है। खड़गे ने एकतरह से विपक्ष को एकता से पहले राहुल का नेतृत्व स्वीकार करने की सलाह दे डाली। बाकी विपक्षी दलों ने अभी प्रतिक्रिया नहीं दी है।
हरियाणा के फतेहाबाद में विपक्ष की रैली में रविवार को नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि किसी तीसरे मोर्चे की जरूरत नहीं है। कांग्रेस समेत सिर्फ एक मोर्चा ही बीजेपी को हरा सकते हैं।
कांग्रेस ने गुरुवार को विपक्षी एकता का लक्ष्य हासिल करने के नाम पर कांग्रेस को कमजोर करने के लिए सीपीएम, टीएमसी और आम आदमी पार्टी पर तीखा हमला किया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस को कमजोर करके विपक्षी एकता का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता।
विपक्षी एकता की दिशा में नए रास्ते बनते जा रहे हैं। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने गुरुवार 8 सितंबर को इस सिलसिले में बहुत महत्वपूर्ण बयान दिया। जानिए पूरी खबर।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार अपने मिशन पर दिल्ली पहुंच चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात भी कर ली है। उन्होंने दिल्ली पहुंचने के बाद इस बात को फिर दोहराया है कि वो पीएम पद के दावेदार नहीं हैं। वो चाहते हैं कि विपक्ष एकजुट हो। जानिए पूरा घटनाक्रम।
विपक्षी एकता को परवान चढ़ाने के लिए तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव बुधवार को पटना में बिहार के सीएम नीतीश कुमार और आरजेडी चीफ लालू यादव से मिलने वाले हैं। हालांकि अभी तक केसीआर ने विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात की है लेकिन कोई साफ तस्वीर विपक्षी एकता की बन नहीं पाई है।
मोदी ऐसे करिश्माई नेता जो चौबीस घंटे में सिर्फ कुछ घंटे आराम करते हों उनका मुकाबला विपक्ष का कौन नेता कर सकता है ?क्या कोई नेता है ?आज की जनादेश चर्चा इसी पर
आम आदमी पार्टी क्या गांधीनगर नगर निगम चुनाव में बीजेपी को फ़ायदा पहुँचाने के लिए खड़ी हुई थी? अगले साल जिन पाँच राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें से 4 जगह से आप चुनाव लड़ रही है तो क्या विपक्ष को नुक़सान पहुँचाएगी?
ममता बैनर्जी विपक्षी एकता के लिए इतनी जल्दबाज़ी क्यों कर रही हैं? क्या वे खुद को भावी प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने का इरादा रखती हैं? मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-विनोद शर्मा, राधिका रामशेषन, गौतम लाहिड़ी, नीरेंद्र नागर और आलोक जोशी-
प्रतिस्पर्धी का होना बीजेपी या जो भी दल सत्ता में है उसके लिए भी अच्छा होगा। क्योंकि उसे अपने में निरन्तर सुधार लाने का दबाव बना रहेगा। क्या बीजेपी के मुक़ाबले में कोई पार्टी है? क्या कोई रास्ता है?
महाराष्ट्र में क्या बीजेपी का वह क़िला ढग गया जहाँ ग़ैर-बीजेपीवाद पनपने के आसार हैं? क्या बीजेपी के विरोधी रहे दल अब एकजुट होंगी? और अधिक ऊर्जा के साथ? क्या बीजेपीवाद को चुनौती देने का केंद्र यानी गढ़ बनेगा महाराष्ट्र? क्या मोदी-शाह की जोड़ी वाली पार्टी के लिए बड़ी चुनौती होगी। सत्य हिंदी पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट।