बिहार में बार-बार पलटी मारने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कोई जवाब नहीं। 2022 में वो जिससे नाखुश थे, 2024 में उनसे वो खुश हैं। लेकिन उनकी खुशी-नाखुशी का पैमाना बदलता रहता है। वरिष्ठ पत्रकार शैलेश की बिहार की राजनीति पर बहुत नजदीक से नजर रहती है। वो नीतीश के गुस्से को समझाने की कोशिश कर रहे हैं।
यूपी से लेकर बिहार तक जब जाति जनगणना को राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा हो तो ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के पास इसका जवाब मोहन यादव के अलावा और क्या हो सकता था। मोहन यादव का चयन यूपी-बिहार की ओबीसी राजनीति पर प्रहार के लिए भाजपा का नया हथियार साबित होने जा रहा है। मोहन की ससुराल यूपी के सुल्तानपुर में है। भाजपा उसका फायदा उठाने में नहीं चूकेगी। जानिए, पूरी राजनीतिः