अब अमित शाह ने क्यों कहा है कि एनआरसी पूरे देश में लागू किया जाएगा? क्या यह किसी को डराने के लिए है? और उनके डरने से क्या अमित शाह या बीजेपी को क्या फ़ायदा होगा? देखिए इसका विश्लेषण सत्य हिंदी पर शैलेश की रिपोर्ट में।
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा सफ़ाई देते हुए कहा कि एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल अलग-अलग चीजें हैं। एनआरसी पूरे देश में लागू होगा और इसमें सभी धर्मों के लोग आएंगे।
उत्तर प्रदेश में ऐसे लोगों की पहचान करने को क्यों कहा गया है कि कोई संदिग्ध बांग्लादेशी तो नहीं है? घूमंतु लोगों के पास कागजात नहीं होने पर उनके साथ क्या किया जाएगा? उत्तर प्रदेश में उपचुनाव से पहले ऐसा फ़ैसला क्यों? देखिए आशुतोष की बात में क्या हैं इसके मायने।
क्या असम के तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी एनआरसी लागू किया जाएगा? यह सवाल इसलिए अहम है कि यूपी पुलिस प्रमुख ने सभी ज़िला सुपरिटेंडेंड को चिट्ठी लिख कर कहा है कि वे अपने इलाक़े में बांग्लादेशियों की पहचान करें।
पश्चिम बंगाल में असम की तरह एनआरसी लागू नहीं है, लेकिन इसकी दहशत उससे कम भी नहीं है। ऐसी अफ़रातफ़री है कि कई लोगों की मौत के दावे किए गए हैं। तो क्यों है इतनी दहशत कि स्थिति मौत तक पहुँच जा रही है?
एनआरसी में दिल्ली में घमासान क्यों मचा है? एनआरसी पर क्यों अरविंद केजरीवाल और मनोज भिड़ गए। क्या दिल्ली में बाहर से आकर रहने वालों को डराया जा रहा है? देखिए, क्या है राजनीतिक दलों की रणनीति 'शैलेश की रिपोर्ट' में।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महमूद मदनी गुट ने केंद्र की मोदी सरकार को देश भर में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण लागू करने की चुनौती दी है। महमूद मदनी ने कहा है पता तो चले कि देश भर में कितने बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं।
क्या बीजेपी अवैध रूप से रह रहे लोगों को देश से बाहर कर देगी? अमित शाह ने एक बार फिर से क्यों जोर देकर कहा है कि उनकी सरकार घुसपैठियों को चुन-चुनकर देश से बाहर करेगी? क्या यह राजनीतिक बयानबाज़ी है? सत्य हिंदी पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
क्या राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) अब बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के गले की फांस बन गया है। यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि संघ ने मोदी सरकार से कहा है कि वह नागरिकता संशोधन विधेयक को दिसंबर में एक बार फिर संसद में पेश करे।