लॉकडाउन में फँसे दिहाड़ी मज़दूरों के पास एक दिन के लायक भी खाने-पीने की चीजें नहीं बची हैं, उन्हें यह उम्मीद भी नहीं है कि लॉकडाउन ख़त्म होने के तुरन्त बाद स्थिति में सुधार होगा और उन्हें काम मिल जाएगा। एक सर्वे में यह पाया गया है। कौन सर्वे? क्या है मामला? कौन कह रहा है ये बातें? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक के साथ।