स्वयं गाँधी ने ही नहीं कांग्रेस ने भी राजनीतिक स्वतंत्रता के मुकाबले हमेशा समाज सुधार को, खासकर हिंदू समाज की कुरीतियों पर प्रभावी प्रहार को ख़ारिज या निलंबित रखा।
कुछ दिनों पहले नोएडा में एक सड़क दुर्घटना के बाद एकत्रित हुए तमाशबीनों को कार के ड्राईवर ने अपना हिन्दू नाम बताया लेकिन जब पुलिस पहुँची और उसका लाइसेंस देखा तो वह मुसलमान निकला।
स्टैंडअप कॉमेडियन भारती सिंह और उसके पति को गांजा रखने और पीने के आरोप में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने गिरफ्तार किया। दीपिका पदुकोण सहित कई हस्तियाँ राडार पर हैं। क्या समाज के आइकन खरा नहीं उतर रहे हैं?
बिहार के मुख्यमंत्री को शायद समझ में नहीं आया कि लम्बे समय तक शासन में रहने के अपरिहार्य दोष के रूप में पैदा हुए सामंती अहंकार का विस्तार लोकप्रियता के उल्टे अनुपात में होता है।
गो हत्या और गो मांस का सेवन किस काल-खंड में होता रहा है या नहीं होता रहा है, क्या इसे अन्य धर्मों के लोगों को आदर करना चाहिए? इस पर एक नया विवाद क्यों छिड़ गया है?
पिछले हफ़्ते सर्वोच्च न्यायालय ने ‘भीड़ न्याय’ के ख़िलाफ़ सख़्त रुख़ दिखाया तो लेकिन घटनाएँ बढ़ गयीं। ऐसा क्यों हुआ? क्यों अपराधियों को सज़ा नहीं मिल पा रही है, उनको किनका संरक्षण मिल रहा है?
बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को प्रधानमंत्री ने सख़्त नसीहत देकर यह बताया कि अनुशासनहीनता को क़तई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।