बिहार में बीजेपी और नीतीश कुमार के जेडीयू के बीच आख़िर इतनी तल्खी क्यों बढ़ गई है कि मरते दम तक गठबंधन नहीं करने की बात कही जा रही है? जानिए इसके मायने क्या हैं।
बिहार में क्या कुछ बड़ा राजनीतिक उथल-पुथल होने वाला है? उपेंद्र कुशवाहा ने क्यों कहा कि जेडीयू में उनका भी हिस्सा है? जानिए उन्होंने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में क्या कहा।
उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक गतिविधियां बता रही हैं कि वो बीजेपी के पाले में फिर से जाने को तैयार बैठे हैं। जेडीयू और नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि कुशवाहा ऐसा करने को आजाद हैं। आखिर क्यों कुशवाहा और जेडीयू नजदीक आते-आते दूर होते जा रहे हैं।
बिहार में आरजेडी के नेताओं और विधायकों की बयानबाजी आरजेडी-जेडीयू गठबंधन को भारी पड़ सकती है। यही वजह है कि आरजेडी ने अब अपने नेता को आज बुधवार को कारण बताओ नोटिस देकर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाही है। जानिए पूरी बातः
अब जब नीतीश कुमार ने यह साफ कर दिया है कि बिहार सरकार में दो उप मुख्यमंत्री नहीं होंगे तो सवाल सबसे बड़ा यही है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा क्या करेंगे। क्या वह जेडीयू में बने रहेंगे?
क्या नीतीश कुमार उपेंद्र कुशवाहा को अपनी कैबिनेट में उप मुख्यमंत्री बनाएंगे। अगर ऐसा होता है तो आरजेडी इस पर कैसी प्रतिक्रिया देगी और अगर उपेंद्र कुशवाहा को उप मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो वह कितने दिन जेडीयू में रहेंगे।
बिहार में जब बीजेपी से नाता तोड़कर आरजेडी के साथ सरकार बनाई थी तो नीतीश ने एक तरह से विपक्षी एकता का अभियान छेड़ दिया था, लेकिन उस अभियान का क्या हुआ, क्या उसमें आगे भी कुछ होगा?
सुधाकर सिंह का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव के नाम को आगे बढ़ाते हुए दिख रहे हैं। साथ ही वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता की भी जोरदार पैरवी कर रहे हैं। सुधाकर सिंह ने क्या कहा है और उस पर जेडीयू के नेताओं ने क्या प्रतिक्रिया दी है।
एक बार फिर बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ आने वाले नीतीश कुमार आजादी की लड़ाई में संघ की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। क्या वह इस सवाल को घरों और गांवों तक ले जा पाएंगे?
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आज 21 दिसंबर को भारत जोड़ो यात्रा को लेकर बीजेपी पर हमला बोला। नीतीश कुमार ने कहा कि जब यात्रा लोकप्रिय हो रही है और दिल्ली के नजदीक है तो कोविड का शोर मचाया जा रहा है। जो लोग खुद जुलूस निकालते हैं वे यात्रा का विरोध कर रहे हैं।
नीतीश ने गुरूवार को भी जो शराब पिएगा वह मरेगा वाला बयान दिया था। उनके इस बयान के बाद बिहार में सियासत गर्म है। विपक्षी दल बीजेपी के नेताओं ने नीतीश कुमार के इस बयान को बेहद असंवेदनशील बताया है।
बिहार में जहरीली शराब पीने से मौतों का आंकड़ा 50 से ज्यादा हो गया है और नीतीश कुमार शराबबंदी के फैसले को लेकर बुरी तरह घिरते दिखाई दे रहे हैं। क्या शराबबंदी वाकई फेल हो गई है?
बिहार में नक़ली शराब से 39 लोगों की मौत हुई है । ये सब गरीब परिवार से हैं । लेकिन बजाय इनके परिवारों के प्रति सहानुभूति रखने के नीतीश कह रहे हैं कि शराब पियेंगे तो मरेंगे । कोई मुख्यमंत्री ऐसी भाषा कैसे बोल सकता है ? क्या ऐसे मुख्यमंत्री को अपने पद पर बने रहना चाहिये ?