भारत की अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में अफरा-तफरी है। बेरोज़गारी रिकॉर्ड स्तर पर है। विनिर्माण क्षेत्र की हालत ख़स्ता है। क्या ऐसी अर्थव्यवस्था को बचा पाएँगी निर्मला सीतारमण? देखिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार शैलेश से चर्चा।
वित्त मंत्री: दुनिया के मुक़ाबले भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर। वित्त मंत्री: अब बैंकों को अपनी ब्याज़ दर घटानी होंगी। मोदी: भारत में ‘टेंपरेरी’ के लिए कोई व्यवस्था नहीं। ईडी केस में चिदंबरम को अंतरिम ज़मानत । राहुल ने आर्थिक मंदी पर केन्द्र सरकार पर साधा निशाना। सत्य हिंदी
अर्थव्यवस्था की हालत सुधारने के लिए निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कई घोषणाएँ कीं। उन्होंने कहा कि सुधार लगातार चलते रहने वाली प्रक्रिया है और व्यापार करने के अनुकूल माहौल बनाने का प्रयास अभी भी जारी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सुधारों का एलान करते हुए कहा कि यह सतत प्रक्रिया है और जारी रहेगी। व्यापार को और सुगम बनाने के लिए कई स्तर पर कदम उठाए जाएँगे।
इस बार बजट की ख़ास बातों में एक था- बिना पैन यानी सिर्फ़ आधार नंबर पर आयकर जमा हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि इससे क्या दो-दो पैन कार्ड बन जाने की गड़बड़ियाँ नहीं होंगी? और फिर पैन की ज़रूरत ही क्यों रहेगी?
निर्मला सीतारमण अपना पहला बजट पेश करने जा रही हैं। पर उन्हें विरासत में फटेहाल अर्थवयवस्था मिली है। मोटर कार उद्योग समेत इंडिकेटर बता रहे हैं अर्थव्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रहा है।
निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्री ऐसे समय बनाया गया है जब देश की अर्थव्यवस्था डाँवाडोल है, इसे पटरी पर लाना उनकी प्रमुख ज़िम्मेदारी होगी। इसमें वह कितनी कामयाब होंगी?