गोडसे भी हिंदू था और गांधी भी हिंदू थे; पक्का सनातनी हिंदू; रामराज्य का सपना लेने वाला हिंदू; एक ऐसा हिंदू, मृत्यु पूर्व जिसकी जिहृा पर अंतिम शब्द 'राम' ही था; बावजूद इसके नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को हिंदूवाद की राह में रोड़ा माना और हत्या की।
आज यानी 30 जनवरी को शहीद दिवस है। देश को आज़ादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी। जानिए, गांधी क्यों आज भी प्रासंगिक हैं।
रमेश नायडू बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस के छात्र संगठन से दीक्षित हैं और उसके बाद आंध्र प्रदेश बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं। इनके पास ताज़ा दायित्व प्रदेश बीजेपी के सचिव का है।
आज से 71 साल पहले जब कट्टर हिंदूवादी नाथूराम गोडसे ने बिड़ला हाउस में 80 साल के एक कमज़ोर बूढ़े की छाती पर चार गोलियाँ दागी थीं तो वह जान रहा था कि ऐसा करके वह अपने लिए केवल बर्बादी चुन रहा है।
बीजेपी के नेता बार-बार क्यों गोडसे के समर्थन में खड़े हो जाते हैं? वे कभी उसे आतंकवादी मानने से इनकार कर देते हैं, कभी उसे मुर्दाबाद कहने से इनकार कर देते हैं, तो कभी उसका कोई नेता गोडसे को देशभक्त बता देता है?
बार-बार महात्मा गाँधी के हत्यारे गोडसे को 'देशभक्त' बताने की कोशिश क्यों की जाती है? क्यों उनको गाँधी के विचारों से डर लगता है? क्यों गाँधी से अभी भी ऐसे लोगों को अपने अस्तित्व को ख़तरा महसूस होता है? देखिए सममायिक मुद्दों पर विचार रखने वाले रक्षा मामलों के विशेषज्ञ राकेश कुमार सिन्हा की राय।
सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री राज्यश्री ने नाथूराम गोडसे की तसवीर की न केवल आरती उतारी, बल्कि गाँधी जी की मौत के लिए जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहरा डाला।
बापू ने जिस धरती से दुनिया को प्यार, मोहब्बत का संदेश दिया, उसी देश में कुछ लोग उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे के सम्मान में ‘गोडसे अमर रहें’ ट्रेंड करा रहे थे।
महात्मा गाँधी के देश में वे कौन लोग हैं जो उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की जय-जयकार कर रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि इन लोगों को किसका समर्थन है, जिनके दम पर वह सोशल मीडिया पर खुलेआम ‘गोडसे अमर रहे’ को ट्रेंड करा रहे हैं।