प्रधानमंत्री ने पांच अप्रैल को रात नौ बजे दिया, कैंडल आदि जलाने का आव्हान किया है। उनका कहना है कि इससे देश की एकता का इज़हार होगा। लेकिन अपने वीडियो प्रसारण में उन्होंने उन क़दमों का ज़िक्र तक नहीं किया जो कोरोना संकट से निपटने के लिए वे उठ रहे हैं। ऐसे में लगता यही है कि वे लोगों का ध्यान भटकाने के टोटके तो नहीं आज़मा रहे हैं। सत्य हिंदी के लिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की विशेष टिप्पणी।
जनता को सम्मोहित करने में माहिर प्रधानमंत्री का दिया जलाओ मंत्र भक्तों को ख़ुश कर सकता है लेकिन कोरोना से लड़ाई की असली स्थिति को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गुहार सामने लाता है। नीतीश ने कहा कि एक लाख टेस्टिंग किट माँगा पर मिला सिर्फ़ चार हज़ार। डॉक्टर कह रहे हैं कि उनके पास मास्क, दस्ताने और सुरक्षा के उपकरण नहीं हैं। देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
मुख्यमंत्रियों के साथ टेलीकांफ्रेंसिंग में प्रधानमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन को एक साथ हटाने के बजाय अलग-अलग समय पर हटाया जाए। इसका मतलब है कि सरकार के पास इस मामले में स्पष्टता नहीं है कि 14 अप्रैल के बाद वह क्या करना चाहती है। यह भी लग रहा है कि प्रधानमंत्री अब ज़िम्मेदारी राज्यों पर डाल देना चाहते हैं। देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की यह विशेष टिप्पणी।
क्या प्रधानमंत्री मोदी को कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में वैश्विक स्तर पर किसी टास्क फ़ोर्स का नेता चुना गया है? कम से कम सोशल मीडिया पर तो कुछ लोगों ने ऐसा ही दावा किया है।
बहुत से लोग चीन के ख़िलाफ़ अभियान चलाते रहते हैं। मगर हक़ीक़त ये है कि जो राजनीतिक दल कभी चीन के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाते थे वे आज खुद उससे संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में जुटे हुए हैं। भारत-चीन संबंधों के सत्तर साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी प्रधानमंत्री को जो संदेश भेजा है वह यही बताता है। सत्यहिंदी के लिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की टिप्पणी।
प्रधानमंत्री ने समूचे देश को आश्चर्यचकित करते हुए भाव-विभोर कर दिया। जनता इस तरह से भावुक होने के लिए तैयार ही नहीं थी। पिछले छह-सात सालों में ‘शायद’ पहली बार ऐसा हुआ होगा कि 130 करोड़ लोगों से उन्होंने अपने ‘मन की बात’ इस तरह से बाँटी होगी।
लॉकडाउन से आने वाली दिक्कतों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माफ़ी माँगी है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ज़रूरी था, लोगों को दिक्कतें आने लिए माफ़ी माँगता हूँ। वह 'मन की बात' को संबोधित कर रहे थे।
हम भारतीय बड़े ख़ुशक़िस्मत हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। मैं यह इसलिए नहीं कह रहा हूँ कि मैं कोई मोदी का भक्त हूँ। मैं इसलिए कह रहा हूँ कि मोदी जी ग़रीबी में पले और बड़े हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों को जितना डराना संभव था, डरा दिया। यह भी कह दिया कि इससे बचने का एक ही तरीक़ा है कि घरों में बंद रहा जाए और इसके लिए लक्ष्मण रेखा का अच्छा उदाहरण दिया पर उसके अंदर रहने में सहायता का कोई आश्वासन नहीं दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रात आठ बजे कोरोना वायरस के संकट पर देश को संबोधित करेंगे। उन्होंने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। कोरोना वायरस को लेकर उनका यह दूसरी बार संबोधन होगा।
19 मार्च को जिस वक़्त प्रधानमंत्री मोदी कोविड-19 के गंभीर ख़तरे पर राष्ट्र को संबोधित कर रहे थे, अपने देश में कोरोना वायरस से संक्रमित कुल मामले 173 से ऊपर हो चुके थे। लेकिन इससे मरने वालों की संख्यी अभी तक सिर्फ़ 5 बताई गई है।