प्रधानमंत्री मोदी 'वंदे मातरम' के नारे लगाते रहे लेकिन नीतीश कुमार बगल में ही चुप बैठे रहे। सभी लोग खड़े भी हो गये तब काफ़ी असहज दिख रहे नीतीश भी आख़िर में खड़े हुए, लेकिन तब भी वह जयकारे लगाते नहीं दिखे।
पश्चिम बंगाल में इस बार संसदीय चुनाव का अब तक का सबसे जबरदस्त मुक़ाबला चल रहा है। टीएमसी और बीजेपी के बीच नोकझोंक से लगता है कि लड़ाई प्रधानमंत्री मोदी और ममता बनर्जी के बीच हो।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आपको अति पिछड़ा घोषित करके एक नया राजनीतिक दाँव खेला है। 2014 के चुनावों से पहले उन्होंने ख़ुद को नीची जाति का घोषित कर दिया था। ऐसा क्यों?
यदि कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी अजय राय को सपा-बसपा प्रत्याशी के पक्ष में बैठा दिया तो यह लड़ाई बहुत ही रोचक तथा प्रधानमंत्री मोदी बनाम तेज़ बहादुर हो जायेगी।
चुनाव आचार संहिता के ‘उल्लंघन’ के मामले में क्या अब प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी? इसकी संभावना इसलिए बनती है कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया है।
तीन चरण के मतदान हो गये हैं। मोदी ने पहले बालाकोट के बहाने ‘राष्ट्रवाद’ और फिर साध्वी प्रज्ञा के बहाने ‘हिंदू आतंकवाद बनाम मुसलिम आतंकवाद’ का नैरेटिव बनाने की कोशिश की। ये नहीं चले तो मोदी अब हिंदुत्व के एजेंडे पर आ गये हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नामांकन दाखिल किया। वाराणसी में अपना नामांकन पत्र भरने से एक दिन पहले गुरुवार को उन्होंने एक मेगा रोडशो किया था।
कांग्रेस ने प्रियंका को वाराणसी में क्यों नहीं उतारा मोदी के ख़िलाफ़? क्या नरेंद्र मोदी से डर गईं प्रियंका गाँधी? देखिए क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार शैलेश।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की डूबती नाव को बचाने मैदान में उतरी प्रियंका गाँधी कम से कम बनारस में मोदी से दो-दो हाथ नहीं करेंगी। अगले दो-तीन दिनों में पार्टी इसका एलान भी कर देगी। तो क्या कांग्रेस डर गई?
सर्वोच्च न्यायालय अभी तक तो बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी की याचिका पर विचार कर रहा था लेकिन अब उसने राहुल को अदालत की अवमानना का औपचारिक नोटिस जारी कर दिया है।
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने सैकड़ों वादे किेए थे। लेकिन काम का हिसाब जनता को देने के बजाय सिर्फ़ हिंदू राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाकर चुनाव जीतने की कोशिश की जा रही है।
एक नयी रिपोर्ट के अनुसार, ख़ासकर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 50 लाख लोगों ने नोटबंदी के बाद अपना रोज़गार खो दिया है। इस मुद्दे पर देखिये वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।