बीस लाख करोड़ के पैकेज के ऐलान से पैदा हुई खुशी अब गायब होती जा रही है। लोगों और उद्योग जगत को भी समझ में आ गया है कि इससे किसी को तुरंत कोई राहत नहीं मिलने जा रही है इसलिए उनकी आशा निराशा में बदलती जा रही है। एक तो ये पैकेज उतने का है नहीं जितने का बताया जा रहा है। दूसरे, बहुत सी योजनाएं लंबे समय की है जबकि राहत तुरंत चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार दस सूत्रों के ज़रिए खोल रहे हैं आर्थिक पैकेज की पोल-पट्टी।