प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस का नाम महंगाई के खिलाफ काले कपड़े पहन कर प्रदर्शन करने को काला जादू से जोड़ा तो कांग्रेस ने पलट कर जवाब दिया कि काले धन के खिलाफ बोलने वाले जुमलाजीवी बेकार में काले कपड़ों को मुद्दा बना रहे हैं। कांग्रेस ने काले कपड़ों में प्रधानमंत्री का फोटो भी ट्वीट कर दिया। पढ़िए पूरी रोचक कहानी।
कांग्रेस के 5 अगस्त के विरोध-प्रदर्शन को लेकर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निशाना साधा है। जानिए, प्रधानमंत्री ने काले कपड़े पहनकर किए गए विरोध से काला जादू से क्यों जोड़ा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने क्यों कहा कि कॉर्पोरेट क्षेत्र के कर्ज के राइट ऑफ़ करने वालों को देशद्रोही घोषित कर देना चाहिए? क्या कभी ऐसा संभव है?
पीएम मोदी की घर घर तिरंगा अपील पर देश में नेशनल फ्लैग खरीदने की बाढ़ आ गई है। बीजेपी दफ्तर में तिरंगा झंडा 20 रुपये में बेचा जा रहा है लेकिन इसी तिरंगे के एवज में रेलवे कर्मचारी के वेतन से सरकार 38 रुपये काटने जा रही है। तिरंगे पर हो रही इस राजनीति को नजदीक से जानिए।
मोदी सरकार हाल ही महंगाई, ईडी की मनमानी के मुद्दे पर कांग्रेस के आंदोलन से डर गई। मात्र इस आंदोलन से डरने वाली सरकार कितनी मजबूत निकली, वो सामने आ गया। इसी से पता चलता है कि भारत में कोई भी राजनीतिक दल सत्ता में आने पर मनमानी तो कर सकता है लेकिन वो इस मजबूत लोकतंत्र को विलुप्त नहीं कर सकता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुलाकात से पहले बीजेपी के पुराने नेता तथागत रॉय के द्वारा सेटिंग की आशंका वाला ट्वीट करने का क्या मतलब है?
ऐसे में जब लंबे समय से ईडी सोनिया और राहुल गांधी से पूछताछ कर रही है, नेशनल हेराल्ड पर कार्रवाई कर रही है, राहुल गांधी ने बिना लाग-लपेट के क्यों कहा कि मैं डरता नहीं?
प्रधानमंत्री मोदी के 'हर घर तिरंगा' अभियान के बाद विपक्ष ने आरएसएस और इसके पदाधिकारियों को क्यों निशाने पर लिया है? जानिए अब तिरंगा के प्रति संघ का रुख कितना बदला है।
प्रधानमंत्री मोदी के 'हर घर तिरंगा' अभियान से सोशल मीडिया पर आरएसएस और इसके पदाधिकारी क्यों निशाने पर आ गए हैं? जानिए लोग प्रधानमंत्री को तिरंगा लगवाने की चुनौती क्यों दे रहे हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी या एनडीए की तरफ़ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार कौन होंगे, क्या इस सवाल पर संदेह है? तो फिर अमित शाह को या बीजेपी को यह कहने की ज़रूरत क्यों पड़ी?
देश की जिस संसद में अहम मुद्दों पर बात होना चाहिए, वहां गतिरोध जारी है। एक करीब 8-9 दिनों से संसद चल रही है लेकिन सरकार महंगाई जैसे मुद्दे पर बहस नहीं होने दे रही है। लेकिन यह अफसोसनाक बात है कि संसद न चलने देने का आऱोप विपक्ष पर लगाया जा रहा है। हकीकत ये है कि संसद नहीं चलने देने में सरकार को ही फायदा है।
देश का नेतृत्व कैसा होना चाहिए? महंगाई, बेरोजगारी, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों को सुलझाए या फिर चुनाव में वादे को भूल जाए? नेतृत्व का आकलन क्या उसके वादों को पूरा करने के आधार पर नहीं होना चाहिए?
बीजेपी नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में वाराणसी से लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर कहा था कि 'मुझे गंगा मैया ने बुलाया है' तो गंगा की सफाई और स्वच्छता को लेकर बड़ी उम्मीदें जगी थीं। लेकिन क्या ऐसा हुआ?