बजट की सबसे बेहतर घोषणाओं से एक है भारत के मोटे अनाज के हब के रूप में विकसित करना। अगर सरकार इसको बढ़ावा दे तो यह बहुत आसानी से इसको बढ़ाया जा सकता है। इसको लिए सबसे बड़ी जरूरत तो बाजार उपलब्ध कराना है, जोकि पिछले दशकों में सिमटता चला गया है। इसके लिए प्रस्तावित राष्ट्रीय मिलेट संस्थान एक बेहतर कदम है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अवर सचिव द्वारा दायर किये गये हलफनामे में कहा गया है कि PM CARES फंड को सार्वजनिक और धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है।
पिछले तीन वर्षों से बजट में भारतीय अर्थव्यवस्था को समर्थन और रिकवरी पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे भारतीय उद्योग जगत को उपयोगी परिणाम प्राप्त किए हैं।
केंद्र सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और यूट्यूब को डॉक्यूमेंट्री के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। विदेश मंत्रालय ने इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिक्रिया देत हुए इसे 'प्रोपेगैंडा फिल्म' कहा था, जिसमें निष्पक्षता की कमी है और औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाती है।
बीबीसी डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर देश में जगह-जगह रस्साकशी शुरू हो गई है। भारत सरकार द्वारा इस पर रोक लगाने के बावजूद यह सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही है। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कुछ छात्रों ने स्क्रीनिंग की। जेएनयू में भी कुछ छात्र आज मंगलवार रात 9 बजे इसकी स्क्रीनिंग करने वाले हैं।
भाजपा इस रणनीति के जरिए
उस तबके तक पहुंचने की कोशिश कर रही है जो लंबे समय तक उससे दूर रहा है। भाजपा की
राजनीति का बड़ा हिस्सा इस तबके के विरोध पर टिका हुआ है। संघ प्रमुख मोहन भागवत औऱ प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने हालिया बयानों में इस तबके तक पहुंचने के प्रयास किए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर इतना गतिरोध क्यों है? डॉक्यूमेंटरी को कथित तौर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से हटाए जाने के बाद भी विपक्षी नेता लिंक क्यों साझा कर रहे हैं?
गुजरात के दंगों की गुप्त ब्रिटिश जांच और उस पर बनी बीबीसी की डॉक्युमेंट्री पर भले ही भारत में बैन लग गया हो लेकिन इस बहाने गुजरात दंगों को लेकर वो तमाम सवाल फिर से उभर आए हैं जो उस समय उठे थे...और आज भी उठ रहे हैं।
यूट्यूब और ट्विटर को साफ
तौर पर निर्देशित किया गया है कि वह देखे कि कोई चैनल इसे दोबारा अपलोड न करे।
इसको रोकने के उपाय भी करे जिससे कोई और ऐसा न कर पाए।
इंग्लैंड में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ प्रसारित हो रही है तो भारत में ‘गांधी गोडसे एक युद्ध’ 26 जनवरी को रिलीज हो रही है। एक भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो दशक पहले गुजरात दंगे में बतौर सीएम उनकी भूमिका को लेकर सवालों के कठघरे में खड़ा करता है। तो, दूसरा 1948 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को महिमामंडित करता है।
प्रधानमंत्री मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ने इतना तूल क्यों पकड़ा? आख़िर यह डॉक्यूमेंट्री क्यों बनानी पड़ी? जानिए विदेश मंत्रालय ने किस आधार पर इसे प्रोपेगेंडा कहा।