भारतीय लोकतंत्र पर हमला एक तरफ से या एक जगह से नहीं हो रहा है। चाहे वो असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा हों या फिर भारत के प्रधानमंत्री हों, हमलों की बौछार है। भारतीय संसद में विपक्षी नेताओं के माइक कभी बंद नहीं किए गए, लेकिन मोदी राज में यह भी मुमकिन हो गया। ऐसे में उस शपथ का क्या महत्व रह गया है, जो किसी राज्य का मुख्यमंत्री या देश का प्रधानमंत्री संविधान के नाम पर खाता है।