देश आज जिस रास्ते पर जा रहा है, उसमें व्यक्तिवाद हावी होता जा रहा है। हमें गांधी-नेहरू की विरासत से जो मजबूत लोकतंत्र मिला है, उसको मिटाने की पूरी कोशिश हो रही है। सवाल यही है कि आज देश और उसकी संवैधानिक संस्थाओं से बड़ा कोई व्यक्ति कैसे हो सकता है लेकिन जब तख्तनशीनों में तानाशाह की प्रवृत्ति हो तो क्या किया जा सकता है। आशुतोष का कहना है कि भारत की जनता ने ऐसे तानाशाहों को कभी पसंद नहीं किया है और वक्त आने पर वो उन्हें उखाड़ फेंकती है।