जून में महा विकास आघाडी की सरकार गिरने के बाद यह पहला प्रदर्शन था जिसमें कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव गुट के कार्यकर्ता एक साथ शामिल हुए। महा विकास आघाडी ने एकजुटता के साथ ही अपनी सियासी ताकत भी दिखाई।
महाराष्ट्र के प्रोजेक्ट्स गुजरात ले जाने का मुद्दा क्या प्रदेश में नया राजनीतिक ध्रुवीकरण खड़ा करेगा ? क्या यह मुद्दा कोई सियासी रंग दिखा पायेगा ? या यूं कह लें कि क्या यह मुद्दा भारतीय जनता पार्टी द्वारा जोड़ तोड़ कर बनाये गए नए सत्ता समीकरण के लिए नयी चुनौती साबित होगा ? संजय राय ने इन्हीं सवालों को उठाया है।
शिवसेना के बागी और बीजेपी अक्सर एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना गठबंधन को अप्राकृतिक बताते रहे हैं। उस पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में संजय राउत ने तीखी टिप्पणी की है। संजय राउत ने सवाल किया है कि जब एनसीपी और बीजेपी का गठबंधन 2019 में हुआ था तो वो क्या था, प्राकृतिक या अप्राकृतिक।