असम के विख्यात आंदोलनकारी और विधायक अखिल गोगोई को एनआईए की विशेष अदालत द्वारा यूएपीए (ग़ैर क़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के एक मामले से मुक्त किया जाना बताता है कि उन्हें बदनीयत से फँसाया गया था।
गुजरात में दलित युवक को इसलिए बुरी तरह से मारा गया क्योंकि उसकी मूंछें दबंग जातियों के अहंकार को ठेस पहुंचाती थीं। क्या है ये प्रवृत्ति, दलितों की आज़ादी किन्हें खटकती है?
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि अगर 2024 में चुनाव साफ़-सुथरे ढंग से हुए तो मोदी नहीं जीतेंगे। उनका कहना है कि जनता विपक्ष तैयार कर रही है और विपक्षी दल भी एकजुट हो रहे हैं।
इस्रायल और हमास के बीच युद्ध विराम की घोषणा हो गई है, मगर क्या वह टिक पाएगा और क्या ये स्थायी शांति का रास्ता खोल पाएगा? वैल अव्वाद, फ़िरोज़ मीठीबोरवाला, शीबा असलम फ़हमी
जो लोग फ़लिस्तीनियों के स्वतंत्र राष्ट्र के संघर्ष में दिलचस्पी रखते हैं और उस पर नज़र रखे हुए हैं, उन्हें लग रहा होगा कि जैसे पश्चिम एशिया में एक बार फिर से इतिहास दोहराया जा रहा है।
आख़िर हिमंत बिस्व सरमा का असम का मुख्यमंत्री बनना सुनिश्चित हो गया है। चुनाव अभियान शुरू होने के समय से ही इसके साफ़ संकेत मिल रहे थे। क्या वह चुनौतियों से निपट पाएँगे?
पंचायत चुनाव में दुर्गति के बाद योगी के नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि क्या यूपी बचाने के लिए उनकी कुर्सी किसी और की दी जाएगी? अशोक वानखेड़े, विनोद अग्निहोत्री, विजय त्रिवेदी, शरत प्रधान, वीरेंद्र भट्ट।
बंगाल में चुनाव बाद हिंसा क्यों हो रही है? इसके लिए टीएमसी अकेली ज़िम्मेदार है या फिर बीजेपी भी? मार्क्सवादी-लेनिनवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता दीपंकर भट्ठाचार्य से बातचीत।
असम में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने फिर से जीत हासिल की है, मगर उसकी जीत का रहस्य क्या है। बीजेपी के नेता दावा कर रहे हैं कि उन्होंने विकास किया है, लोगों ने उसके लिए उसे दोबारा सत्ता सौंपी है, लेकिन क्या इसमें सचाई है?
छत्तीसगढ़ कई संकटग्रस्त राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रहा है, मगर क्या कोरोना से लड़ाई में भी वह आगे है? क्या कर रहे हैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल? क्या हैं उनके सामने चुनौतियाँ? पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की उनसे खरी-खरी बातचीत।