न्यूज़ चैनलों द्वारा टीआरपी हासिल करने के लिए घटिया हथकंडे आज़माने और कंटेंट के स्तर को गिराने के संबंध में अक्सर यह दलील दी जाती है कि बेचारे चैनल भी क्या करें, उन्हें भी तो खाना-कमाना है। तो क्या उनका बिजनेस मॉडल घटिया है?
टीआरपी स्कैम के बाद न्यूज़ चैनलों की रेटिंग देने वाली एजेंसी बार्क इस समय निशाने पर है। इससे पहले टैम इंडिया रेटिंग देती थी और वह भी ऐसी ही खामियों के लिए निशाने पर आई थी। लेकिन इसके बाद से क्या कुछ बदला है?
मुंबई टीआरपी घोटाले के बाद जब बार्क ने एलान किया कि वह अगले दो से तीन महीने तक न्यूज़ चैनलों की टीआरपी नहीं देगा तो पत्रकारों ने राहत की साँस ली होगी। लेकिन क्या इससे न्यूज़ चैनलों का कंटेंट सुधर जाएगा?
Suniye Sach । फ्रांस के ख़िलाफ़ भारत में भी भड़का गुस्सा, कई शहरों में प्रदर्शन। यूरोपीय देश फ्रांस के साथ तो मुस्लिम मुल्कों में उग्र प्रतिक्रियाएं जारी
न्यूज़ चैनलों के पतन में केवल टीआरपी ही ज़िम्मेदार नहीं थी या है। टीआरपी की भूमिका बहुत सीमित सी है। टीआरपी बाज़ार का एक प्रभावी अस्त्र ज़रूर है, मगर बाज़ार के पीछे खड़ी पूँजी के उद्देश्य बड़े और विविधतापूर्ण हैं।
फ्रांस के ख़िलाफ़ इस्लामी दुनिया में ज़बर्दस्त गुस्सा देखा जा रहा है, मगर फ्रांस अडिग है, आख़िर क्यों उसके लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इतना महत्व क्यों रखती है पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की फ्रांस की पत्रकार एवं फिल्मकार निहारिका से इस मुद्दे पर बातचीत
टीआरपी आने के बाद से न्यूज़ चैनलों में नई गिरावट आई है और इसीलिए टीआरपी स्कैम जैसे मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन यह अकेला ज़िम्मेदार नहीं है। पढ़िए टीआरपी, हिंदुत्व की राजनीति और टीवी पत्रकारिता के बीच क्या है संबंध...
Suniye Sach। क्या बिहार में पहले चरण के मतदान में दिखेगी सत्ता विरोधी लहर? और क्या सरकार को ही नहीं पता किसने बनाई आरोग्य सेतु ऐप? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के साथ। Satya Hindi
टीआरपी का ही दबाव था कि पहले पहल अपराध पर आधारित ख़बरों और कार्यक्रमों की बाढ़ आई। उन्हें मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत किया जाने लगा। सनसनी पर जोर दिया गया। नाटकीयता आई और फिर टीवी का चरित्र ही बदल गया।
Suniye Sach । पहले चरण में क्यों रहेगा महागठबंधन भारी? रैलियों में बौखलाए हुए क्यों नज़र आ रहे हैं नीतीश कुमार? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के साथ।
मुंबई पुलिस के 'टीआरपी घोटाले' के भंडाफोड़ से टीवी की दुनिया में हंगामा मच गया। टीआरपी का भूत क्या है, इस पर सत्य हिंदी एक शृंखला प्रकाशित कर रहा है। पढ़िए, कैसे इसने टीवी चैनलों को अपनी चपेट में लिया...
मुंबई पुलिस ने जब प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर दावा किया कि उसने 'टीआरपी घोटाले' का भंडाफोड़ किया है और उसमें रिपब्लिक सहित तीन चैनलों के नाम लिए तो टीवी की दुनिया में हंगामा मच गया? सवाल उठा यह टीआरपी घोटाला क्या है? इसे किसने पैदा किया या मजबूरी क्या है?
Suniye Sach। सुशांत केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिपब्लिक से कहा- आपके अंदर मृत व्यक्ति के लिए भी कोई भावना नहीं है? इसके अलावा शो में देखिए बिहार में मुफ्त टीके को लेकर कैसे घिरी बीजेपी!
मतदाताओं को लुभाने के लिए पार्टियाँ आसमान से तारे तोड़ लाने की बातें भी कर देती हैं, मगर जो पार्टी केंद्र में सत्तारूढ़ हो, क्या उसे ऐसा वादा करना चाहिए, जिसमें भेदभाव प्रकट होता हो? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट''