क्या सरकार को इतनी मामूली सी बात भी नहीं पता कि पेट्रोल-डीज़ल के दाम आसमान छूने से सबसे ज़्यादा असर मध्य वर्ग पर ही पड़ेगा। मध्यम वर्ग पर ही आर्थिक मन्दी और बेरोज़गारी की सबसे तगड़ी मार पड़ी है।
कोरोना संकट के दौरान परदेस में फँसे और पाई-पाई को मोहताज़ ग़रीब और प्रवासी मज़दूरों के लिए कांग्रेस की ओर से मदद का हाथ बढ़ाने की पेशकश से बीजेपी ख़ेमा सकपका क्यों गया?
नये कोरोना वायरस के जन्म और संक्रमण से पनपी वैश्विक आपदा की चुनौतियों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में 28 मार्च 2020 को PM CARES फंड बनाया गया।
लॉकडाउन के कारण जब अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट है, ऐसे समय में प्रधानमंत्री का कहना है कि हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी है, उनके इस बयान का क्या आधार है, कुछ पता नहीं।
जिस हिन्दू-मुसलिम नस्लवाद की आग से भारत, बीते कई वर्षों से झुलस रहा है, उसकी लपटें अब खाड़ी के देशों तक पहुँच गयी हैं। इतिहास गवाह है कि नस्लवाद की प्रतिक्रियाएँ होती ही हैं।
आख़िर किस सुविचारित साज़िश या रणनीति के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भ्रामक दावा देश के सामने पेश किया है कि भारत में कोरोना संक्रमण के फैलने की दर दुनिया के तमाम विकसित देशों से बेहतर और संतोषजनक है।