किसी संग्रहालय का नाम बदलने से ग़ुलाम मानसिकता नहीं जाती, उसके लिए स्वतंत्रता की नई इमारतें, नए प्रतीक खड़े करने होते हैं। मगर योगी का विकृत इतिहासबोध इस दिशा में नहीं सोचता क्योंकि वह तो सत्ता की राजनीति से प्रेरित है और ये देश के लिए बेहद आत्मघाती है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण