बीते रविवार मुख्यमंत्री ने इसका नाम बदल कर ‘शिवाजी म्यूज़ियज़म’ रख दिया। उनके इस अप्रत्याशित निर्णय पर न सिर्फ़ इतिहास के अकादमिक क्षेत्रों में व्यापक नकारात्मक प्रतिक्रिया हुई है, बल्कि आगरा के सामान्य नागरिकों ने भी इसे ‘बेमतलब की कोशिश’ बताया है।
किसी संग्रहालय का नाम बदलने से ग़ुलाम मानसिकता नहीं जाती, उसके लिए स्वतंत्रता की नई इमारतें, नए प्रतीक खड़े करने होते हैं। मगर योगी का विकृत इतिहासबोध इस दिशा में नहीं सोचता क्योंकि वह तो सत्ता की राजनीति से प्रेरित है और ये देश के लिए बेहद आत्मघाती है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण