सेकुलर और सोशलिस्ट शब्द को भारत के संविधान में 1976 में डाला गया था । लेकिन बुधवार को जब नई संसद में संविधान की कापी दी गई तो उसमें ये दो शब्द ग़ायब थे । ये कहा गया कि पुराना संविधान दिया गया । जबकि परंपरा है लेटेस्ट संविधान की कापी देने की ताकि नये संशोधन में हो ? सवाल उठता है क्या इन दोनों संविधान को हटाने जा रही है मोदी सरकार ?