कोरोना संकट को आए तीन महीने से ज़्यादा हो गए मगर लगातार माँग किए जाने के बावजूद विपक्ष की उपेक्षा की गई। अब जबकि पानी सिर के ऊपर आ गया है तो आठ अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुला ली गई है। सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री एक दिखावटी कवायद कर रहे हैं और क्या जवाबदेही से बचने के लिए वे बैठक टालते रहे। थे। सवाल ये भी है कि इस बैठक का क्या कोई फ़ायदा भी होगा?