केंद्र और राज्य सरकारें यह दावा कर रही हैं कि इन मज़दूरों को खाने के सामान उपलब्ध कराये जा रहे हैं पर तमाम राज्यों और शहरों से गाँवों की तरफ़ सड़कों पर उमड़ती भीड़ इन दावों की सच्चाई पर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं।
हम जो कुछ भी इस समय अपने ईर्द-गिर्द घटता हुआ देख रहे हैं उसमें नया बहुत कम है, शासकों के अलावा। केवल सरकारें ही बदलती जा रही हैं, बाक़ी सब कुछ लगभग वैसा ही है जो पहले किसी समय था।
लॉकडाउन के कारण काम-धंधे बंद होने से प्रवासी मजदूर पंजाब छोड़ने के लिए तैयार बैठे हैं। इससे इंडस्ट्री चलाने वालों और खेती-किसानी करने वालों पर आफ़त टूट पड़ी है।