क्या मुख्यधारा का मीडिया अपनी ज़िम्मेदारी ठीक से निभा रहा है? क्या बेरोज़ग़ारी, ग़रीबी, महंगाई जैसे मुद्दों पर डिबेट होती है या सत्ता पक्ष से सवाल किया जाता है? यदि नहीं तो क्यों?
देश में चल रहे साम्प्रदायिक विवाद के पीछे उन चैनलों की भी भूमिका हैं जो भड़काऊ तत्वों को बुलाकर बहस कराते हैं .इनमें ज्यादातर एक दूसरे धर्म को निशाना बनाते हैं .आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे लेकर एक अपील भी जारी की है .आज की जनादेश चर्चा .
अरब देशों की नाराजगी महंगी पड़ी। बीजेपी ने अपने दो प्रवक्ताओं को कुर्बान किया। नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल को अब परिवार की सुरक्षा की चिंता। लेकिन उनके इस हाल का जिम्मेदार कौन है?
बॉलीवुड सुपर स्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के मामले में मीडिया की घिनौनी भूमिका पर बहस जारी है। देश में मांग उठ रही है कि मीडिया पर इस मामले में आपराधिक केस दर्ज किया जा चाहिए।
देश में नफ़रत फैलाने में मीडिया कितना ज़िम्मेदार है? क्या मीडिया इस रूप में इसलिए है कि इन मीडिया हाउसों के मालिक उद्योगपति हैं और उद्योगपतियों की सत्ता से काफ़ी नज़दीकी होती है?
हिन्दी के अखबार अब खबरों, सूचनाओं के लिए नहीं बल्कि विज्ञापनों के लिए छापे जा रहे हैं और पाठक उसे पढ़ रहे हैं। विज्ञापनों की लालच ने हिन्दी अखबारों के संपादकों को बौना बना दिया है। बहुत अजीबोगरीब हालात हैं। आखिर पाठक कब समझदार होंगे।
टीवी जर्नलिस्ट अमन चोपड़ा पर नफरत फैलाने वाली पत्रकारिता का आरोप है। राजस्थान में हुए मामले में उन पर पूर्वाग्रह से ग्रसित रिपोर्ट टीवी पर चलाने का आरोप है। इसी मामले में राजस्थान पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने नोएडा आई है।
न्यूज़ चैनेल क्यों सरकार के निशाने पर हैं ? सरकार ने क्यों जारी की एडवाइज़री ? क्या वाक़ई चैनेल नफ़रत फैलाते हैं ? क्या वो ग़ैर ज़िम्मेदार हैं ? क्या उनकी वजह से समाज में सांप्रदायिकता फैल रही है ? आशुतोष के साथ चर्चा में आरफा खानम, स्मिता शर्मा, अभय कुमार दुबे, शिवकांत शर्मा और कमर वहीद नकवी ।
पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आए तो पता चला कि तमाम गंभीर मुद्दे गौण हो गए और जनता ने भावनाओं में बहकर मतदान किया। लेकिन क्या इससे वो मुद्दे खत्म हो गए। जानिए ये सब क्यों हुआ।
भारत के चीफ जस्टिस एन.वी. रमना ने मुंबई प्रेस क्लब के एक कार्यक्रम को
डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए मीडिया को ढेर सारी नसीहतें दी। यह भी
कहा कि न्यायपालिका और मीडिया को साथ-साथ चलना चाहिए। चीफ जस्टिस रमना की
क्या-क्या नसीहतें हैं, यहां पढ़िए।