दिल्ली एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया .वह भाजपा जिसका चेहरा सिर्फ मोदी बने हुए हैं. क्या केजरीवाल मोदी पर भारी पड़ गए? दिल्ली में क्यों नहीं चला मोदी मैजिक? आज की जनादेश चर्चा इसी विषय पर.
आम आदमी पार्टी ने एमसीडी में बीजेपी का किला ढहा दिया। लेकिन एक्जिट पोल जो एकतरफा लहर दिखा रहे थे, वो कहां गई? आखिर क्यों नहीं पढ़ पाए लोगों का मन? और दिल्ली का यह हाल है तो गुजरात और हिमाचल का क्या होगा?
दिल्ली नगर निगम के चुनाव में मोदी सरकार की तमाम तिकड़में क्यों नाकाम हुईं? मोदी का करिश्मा केजरीवाल के सामने क्यों हल्का पड़ जाता है? भ्रष्टाचार के अंधाधुंध आरोपों और केंद्रीय एजंसियों का बेजा इस्तेमाल क्यों काम नहीं आया? केजरीवाल के सॉफ्ट हिंदुत्व के सामने बीजेपी का कट्टर हिंदुत्व क्यों फेल हो जाता है?
क्या एमसीडी में आप की जीत अरविंद केजरीवाल के लिए खुशी लेकर नहीं, मुश्किलें लेकर आई है? जानिए, क्यों ये मुश्किलें सिर्फ़ एमसीडी मामले में ही नहीं, बल्कि उसके भविष्य की राजनीतिक के लिए भी क्यों है।
बीजेपी के द्वारा केजरीवाल सरकार के कुछ मंत्रियों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामलों को मुद्दा बना लेने की वजह से क्या आम आदमी पार्टी एमसीडी का चुनाव बड़े अंतर से नहीं जीत सकी?
एमसीडी चुनाव 2022 में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा मुस्लिमों को टिकट दिए थे। हालांकि एमसीडी में उसका प्रदर्शन अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है लेकिन उसकी 9 सीटों की जीत में 7 पर मुस्लिम प्रत्याशी जीते हैं। आम आदमी पार्टी के मुकाबले मुस्लिम इलाकों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा है। जानिए पूरा ब्यौराः
देश की राजधानी के नगर निगम में सत्ता हासिल करने के लिए बीते कई महीनों से बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच जोरदार कशमकश चल रही थी। एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 134, बीजेपी को 104 और कांग्रेस को 9 सीटों पर जीत मिली है। इस तरह 15 साल से एमसीडी की सत्ता में बैठी बीजेपी की विदाई हो गई है।
दिल्ली नगर निगम चुनाव का क्या कोई एग्ज़िट पोल सही साबित हुआ? एकदम से सटीक होने की तो बात ही छोड़ दीजिए। तो सवाल है कि गुजरात और हिमाचल के एग्ज़िट पोल पर कितना भरोसा किया जाए?
समाज के हाशिए पर पड़े ट्रांसजेंडर समुदाय के बॉबी को आम आदमी पार्टी ने सुल्तानपुरी ए वॉर्ड से खड़ा किया था। उन्होंने आज 7 दिसंबर को चुनाव जीत लिया और आप के प्रयोग को सफल कर दिया। यह जीत महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ उल्लेखनीय भी है। जानिए पूरा ब्यौराः
नगर निगम में दल बदल कानून लागू नहीं होता है। इसका मतलब पार्षद अपना पाला बदल सकते हैं क्योंकि उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। ऐसी स्थिति में बीजेपी और आम आदमी पार्टी, दोनों पार्टियों को इस बात का डर है कि उनके पार्षद उन्हें छोड़कर दूसरे राजनीतिक दल के साथ जा सकते हैं।
जेल में बंद मंत्री सत्येंद्र जैन के विधानसभा क्षेत्र शकूर बस्ती के तीनों वॉर्ड में आम आदमी पार्टी हार गई है। एमसीडी चुनाव के वोटों की गिनती इस खबर के लिखे जाने तक जारी है। जिसमें आप को बढ़त मिली हुई है। जानिए पूरा ब्यौराः
2012 और 2017 में एमसीडी में 272 वार्डों के लिए चुनाव हुआ था लेकिन नए परिसीमन के बाद अब इनकी संख्या 250 हो गई है। बीजेपी 15 साल तक लगातार एमसीडी की सत्ता में रही है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने उसे हरा दिया है।
एमसीडी चुनाव में बीजेपी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, बड़ी संख्या में केंद्रीय मंत्री और कई राज्यों के संगठन पदाधिकारियों को चुनाव मैदान में उतारा था। बावजूद इसके एग्जिट पोल बताते हैं कि दिल्ली के लोगों पर आम आदमी पार्टी का रंग चढ़ा हुआ है।