बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापक कांशीराम की 9 अक्टूबर को होने वाली पुण्यतिथि अचानक सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए एक बड़े आयोजन में बदल गई है। इस बार ऐसा लगता है कि यह बीएसपी के मुख्य प्रतिद्वंद्वियों - समाजवादी पार्टी और कांग्रेस - के शीर्ष एजेंडे में आ गया है, जिनके नेताओं ने दलित आइकन की मौत की सालगिरह को बहुत धूमधाम से मनाने का फैसला किया।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मायावती की बीएसपी आख़िर कैसा प्रदर्शन कर पाएगी? क्या गोंडवाना गणतंत्र पार्टी यानी जीजीपी के साथ गठबंधन कर मायावती नये समीकरण का प्रयोग कर रही हैं?
बसपा सुप्रीमो मायावती का अचानक यू-टर्न और पीएम नरेंद्र मोदी की तीखी आलोचना एक बड़े आश्चर्य के रूप में सामने आई है। चाहे ईडी या सीबीआई की तलवार उनकी गर्दन पर लटक रही हो, वह पिछले कुछ समय से मोदी के लिए 'टीम बी' की भूमिका निभा रही हैं। इसलिए क्या मोदी पर इस अचानक हमले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए या एक बड़े खेल के साथ?
बसपा प्रमुख मायावती ने साफ़ कर दिया है कि आने वाले दिनों में किसी भी राजनैतिक गठबंधन में शामिल नहीं होगी। अकेले दम पर चुनाव लड़ने की आख़िर उनकी रणनीति क्या है?
बहुजन समाज पार्टी या बसपा आने वाले दिनों किसी भी राजनैतिक गठबंधन में शामिल नहीं होगी। पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने इसको लेकर साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी अकेले दम पर आगामी चुनावों में हिस्सा लेगी।
बसपा मायावती ने पटना बैठक से ठीक पहले बयान दिया कि वो इस बैठक में शामिल नहीं होंगी। उनका यह स्टैंड शुरू से स्पष्ट था। लेकिन वो खुद ही बार-बार बता रही हैं कि विपक्षी एकता बैठक में शामिल नहीं होंगी। जानिए पूरी बातः
मायावती सरकार के दौरान उनके परिवार के लोगों को बड़े पैमाने पर फायदा पहुँचाने का आरोप लग रहा है। जानिए, एक रिपोर्ट में मायावती के भाई-भाभी को नोएडा में फ्लैट को लेकर क्या दावा किया गया है।
नये संसद भवन के उद्घाटन को लेकर बीएसपी प्रमुख मायावती के रुख के क्या संकेत हैं? उन्होंने आख़िर विपक्षी दलों के बहिष्कार की आलोचना क्यों की? जानिए, असली वजह।
क्या यूपी की राजनीति करवट ले रही है। शहरी निकाय चुनाव के आंकड़े बता रहे हैं कि मुस्लिम मतदाता अब सपा-बसपा से बतौर डिफाल्ट नहीं जुड़ा है। उनकी वोटिंग का पैटर्न बता रहा है कि उनकी पंसद अब छोटी पार्टियां और यहां तक की भाजपा भी है।
पुलिस की मौजूदगी में और लाइव कवरेज के दौरान अतीक अहमद और अशरफ़ की गोली मारकर हत्या की वारदात ने झकझोर कर रख दिया है। विपक्षी दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। जानें उन्होंने क्या-क्या कहा।
झांसी में आज हुए एनकाउंटर पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए जांच की मांग की है। अतीक के बेटे असद और कथित शूटर गुलाम का एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तारीफ की है।
समाजवादी पार्टी दलित वोट बैंक की तरफ रुख कर रही है। दलितों की मौजूदा समय में नेता मायावती की राजनीति की वजह से दलित अब अन्य पार्टियों में जा रहे हैं। बीजेपी से काफी तादाद में दलित जुड़ चुके हैं। लेकिन जो दलित बीजेपी के साथ नहीं जाना चाहते हैं, वो भी सहारा तलाश रहे हैं। ऐसे में सपा की पहल रंग ला सकती है।
रायबरेली में कांशीराम की मूर्ती का अनावरण करके अखिलेश दलित वोट को अपने पाले में लाने के साथ कांग्रेस को भी संदेश दे रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन में नहीं जाएगी।