मायावती का राजनीतिक संघर्ष सचमुच चमत्कारिक रहा है, लेकिन क्या वह इस लोकसभा चुनाव में सीटें जीतने और प्रधानमंत्री की दावेदारी पर कुछ वैसा ही चमत्कार दिखा पाएँगी?
वैचारिक विचारधारा से इतर जातियों की गिनती कर अपनी पार्टी से जोड़ने का यह फ़ॉर्मूला बीएसपी को नुक़सान पहुँचा रहा है और वह लगातार अपने जनाधार गँवा रही है।
पुरानी अदावत भुला कर मैनपुरी में बसपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के लिए रैली करेंगी तो मुज़फ़्फ़रनगर में अखिलेश यादव राष्ट्रीय लोकदल मुखिया अजित सिंह के लिए वोट माँगेंगे।