सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) अधिनियम, 2018 के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण को रद्द कर दिया है, जो सार्वजनिक शिक्षा और रोज़गार में मराठा समुदाय को आरक्षण देता है।
मराठा आरक्षण महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी के लिए अग्नि परीक्षा जैसा साबित होता जा रहा है। सरकार नौकरी, भर्तियाँ या परीक्षाएँ टाले जा रही है लेकिन इससे दूसरे वर्ग के लोगों में ग़ुस्सा बढ़ रहा है।
मराठा आरक्षण को लेकर एक बार फिर से महाराष्ट्र की राजनीति गर्म होती दिख रही है। विपक्षी दल बीजेपी ने इस मामले में राज्य सरकार को घेरते हुए बयानबाजी शुरू कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम फ़ैसला में कहा है कि नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के मामले में इस साल यह आरक्षण लागू नहीं होगा। लेकिन इस कोटा के तहत पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल कोर्स में जो दाखिले हो चुके हैं, उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को बॉम्बे हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद अब दूसरे राज्यों में क्या प्रतिक्रिया होगी? क्या जाट, गुर्जर, पाटीदार और कापू आरक्षण की माँग ज़ोर नहीं पकड़ेगा?
महाराष्ट्र में क्या फिर मराठा आरक्षण का आन्दोलन भड़केगा? यह सवाल इसलिए क्योंकि मुंबई के आज़ाद मैदान में पिछले एक सप्ताह से मराठा आरक्षण के दायरे में आने वाले मेडिकल विद्यार्थी पिछले एक सप्ताह से आन्दोलन कर रहे हैं।